
बीजिंग : भारत और चीन के बीच मई महिने से चल रहे सीमा गतिरोध का हल ढूढ़ने के लिए भारत ने अथक प्रयास किया मगर चीन अपने आक्रामक रवैये पर टस से मस नहीं हुआ। दोनों देशाें का आपसी सूझबूझ से सीमा पर खिंचे तनातनी को कम करने की जरूरत है। इस बीच, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बृहस्पतिवार को इन प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि बीजिंग और नयी दिल्ली के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए साझा प्रयासों की जरूरत है तथा उनका देश सीमा गतिरोध दूर करने के लिए कटिबद्ध है। हालांकि अपने बयान में उन्होंने अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी जाहिर किया। उन्होंने यह बयान (भारतीय) विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा।
क्या कहा था जयशंकर ने : जयशंकर ने कहा था कि चीन ने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी तादाद में सैन्यबल की तैनाती के लिए ‘पांच भिन्न स्पष्टीकरण’ दिए हैं और द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन ने आपसी संबंधों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लॉवी इंस्टिटूट द्वारा आयोजित ऑनलाइन संवाद सत्र में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सात महीने से जारी सैन्य गतिरोध के आलोक में यह बात कही थी।
भारत पर जिम्मेदारी थोप रहा चीन : हुआ ने कहा, ‘चीन और भारत पड़ोसी हैं तथा दुनिया के दो सबसे बड़े उभरते बाजार हैं, ऐसे में अच्छे संबंध बनाए रखने से दोनों देशों एवं उनके लोगों के बुनियादी हितों की पूर्ति होती है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत-चीन सीमा पर जो भी कुछ गलत और सही हुआ, वह बहुत स्पष्ट है और जिम्मेदारी पूरी तरह भारत के कंधों पर है। चीन वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दे का समाधान तथा सीमावर्ती क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध है।’ देश की संप्रभुता की रक्षा पर उन्होंने कहा, ‘दरअसल यह भारत है, जिसे इस बात पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि आखिर क्यों उसे वर्तमान स्थिति से दो-चार होना पड़ा।’
क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध चीन : उन्होंने कहा, ‘चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम आशा करते हैं कि भारत इसी दिशा में काम करेगा तथा एकजुटता, सहयोग और साझे विकास के लिए अनुकूल और कदम उठाएगा।’ हुआ ने कहा, ‘सीमा मुद्दे जैसे इतिहास से मिले मुद्दों के संबंध में चीन ने हमेशा से शांतिपूर्ण एवं दोस्ताना संवाद से न्यायसंगत और तर्कसंगत समाधान ढूढने की वकालत की है जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो और साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को उपयुक्त स्थान दिया जाए।’
बता दें कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के समाधान के कोर कमांडर स्तर की आठ दौर की बातचीत कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।