
वाशिंगटन : नासा की प्रयागशाला में अब तक अनेक भारतीयों का सर्वोत्तम यागदान रहा है। इसी बात को सार्थक करते हुए चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अपने अभियान में नासा ने भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी सहित 18 अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया है। अपने ‘आर्टमिस’ चंद्र अभियान के लिए नासा ने बुधवार को उन अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा की जिन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इनमें आधी संख्या महिलाओं की है।
एकमात्र भारतीय अंतरिक्षयात्री : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा के इस अभियान के तहत 2024 में चांद की सतह पर पहली बार कोई महिला कदम रखेगी और इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर इंसानों के रहने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा। चारी (43) ‘यूएस एयर फोर्स एकेडमी, एमआईटी’ और ‘यूएस नवल टेस्ट पायलट स्कूल’ से स्नातक हैं, और इस सूची में वह भारतीय मूल की एकमात्र अंतरिक्षयात्री हैं। नासा ने उन्हें 2017 ‘एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट क्लास’ के लिए चुना था। अगस्त 2017 में वह इसमें शामिल हुए थे और अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा किया। अब वह अभियान के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
राजनेताओं की प्रतिक्रिया : उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद की बैठक में कहा, ‘मेरे अमेरिकी साथियों मैं आपको भविष्य के वे नायक दे रहा हूं जो हमें ‘आर्टमिस जेनरेशन’ के जरिए चांद और उससे भी आगे ले जाएंगे।’ चीफ एस्ट्रोनॉट पैट फोरेस्टर ने कहा, ‘चांद की सतह पर चलना हमारे लिए किसी सपने के साकार होने जैसा होगा। अभियान में किसी भी तरह की भूमिका निभाना हमारे लिए गौरव की बात होगी।’
‘आर्टमिस’ टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता और अनुभव वाले अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। समूह में अधिकतर सदस्यों की उम्र 30 से 35 या 40 से 45 के बीच है। सबसे अनुभवी सदस्य 55 साल के और सबसे युवा सदस्य 32 साल के हैं।
अगले साल होगी शुरुआत : चुने गए अंतरिक्ष यात्री नासा को आगामी आर्टमिस मिशन में मदद करेंगे। एजेंसी अपने वाणिज्यिक सहयोगियों के साथ अगले साल इसकी शुरुआत करेगी। इसके तहत मानवों के उतरने के लिए लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षण में मदद हार्डवेयर संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकी सहयोग पर काम होगा।