मंदी समेत अन्य कारक हैं खपत कम करने के जिम्मेदार
ग्रामीण क्षेत्रों में हालत सुधार की राह पर
अगले तीसरी और चौथी तिमाही में पूंजीगत व्यय बढ़ने की उम्मीद
सन्मार्ग संवाददाता, कोलकाता : इमामी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हर्ष वर्द्धन अग्रवाल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है। हर्ष वर्द्धन अग्रवाल ने देश की आर्थिक स्थिति पर कहा कि महंगाई कम होनी चाहिए तभी खपत को ‘सामान्य’ होने में और एक या दो तिमाही का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि महंगाई को कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि ऊंची कीमतों ने शहरी क्षेत्रों में खपत को प्रभावित किया है।
मंदी पर अग्रवाल ने कहा कि व्यापक स्तर पर खपत प्रभावित हुई है और यही कारण है कि कई एफएमसीजी कंपनियों के लिए दूसरी तिमाही के नतीजे उस तरह के नहीं रहे हैं, जैसा कि लोग देखते हैं और इसका एक कारण खपत में कमी है। भारत में, औसत खुदरा खरीद का 75% खाद्य और किराने की वस्तुओं का है और केवल 25% विवेकाधीन (अवाश्यक वस्तुओं के बाहर) खर्च के लिए होता है। खाद्य कीमतों का कोई भी प्रभाव विवेकाधीन खर्च पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अग्रवाल ने कहा कि सबसे पहले मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जाए क्योंकि मुद्रास्फीति के स्वीकार्य स्तर पर आने के बाद खपत बढ़ेगी। मुद्रास्फीति को नीचे लाया जाना चाहिए और अभी सरकार का ध्यान इसी पर है। हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि एक बार जब यह नियंत्रण में आ जाएगी, तो खपत बढ़ जानी चाहिए। दूसरा पूंजीगत व्यय है क्योंकि पिछली तिमाही में सरकार का पूंजीगत व्यय मुख्य रूप से चुनावों के कारण कम था। हमें बहुत उम्मीद है कि तीसरी और चौथी तिमाही में यह काफी हद तक बढ़ जाएगा और इससे खपत को वापस लाने में भी मदद मिलेगी। हर्ष वर्द्धन अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हम कुछ सुधार देख रहे हैं, प्रीमियम उत्पाद अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका वास्तविक प्रभाव मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग पर है। सितंबर तिमाही में मंदी पर उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सितंबर तिमाही बहुत अच्छी नहीं थी। हम स्थिति को धीरे-धीरे सुधरते हुए देख रहे हैं।