

केडी पार्थ, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तापमान एक बार फिर बढ़ गया है। भाजपा ने राज्यभर में 700 से अधिक सीएए सहायता कैंप (Citizenship Assistance Camps) स्थापित करने की योजना बनाई है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, इन कैंपों में उन लोगों को सहायता दी जाएगी जो सीएए के तहत आवेदन करना चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया या दस्तावेज़ों की जानकारी नहीं रखते। इन कैंपों में नागरिकता आवेदन से जुड़ी तकनीकी मदद, फॉर्म भरने की प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी।
सीमा जिलों पर रहेगा विशेष ध्यान
भाजपा की रणनीति के तहत विशेष फोकस सीमावर्ती जिलों- जैसे नदिया, उत्तर 24 परगना, कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर और मालदा — पर रहेगा। पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में वे लोग रहते हैं जो सीएए से सीधे लाभान्वित हो सकते हैं। भाजपा का संगठन इन इलाकों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की भी तैयारी कर रहा है ताकि वे लोगों को सही जानकारी दे सकें और आवेदन प्रक्रिया में सहायता कर सकें।
साल्टलेक में उच्चस्तरीय बैठक
इस रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को साल्ट लेक स्थित पार्टी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष और संगठन महासचिव सुनील बंसल मौजूद थे। दोनों नेताओं ने राज्य इकाई को निर्देश दिया कि कैंपों की स्थापना “संगठित, पारदर्शी और शांतिपूर्ण” तरीके से की जाए। राज्य नेतृत्व को यह भी कहा गया कि सीएए को लेकर जनता में किसी तरह की अफवाह या भ्रम न फैले, इसके लिए सूचना अभियान चलाया जाए।
तृणमूल का पलटवार, राजनीतिक माहौल गर्म
भाजपा की इस योजना पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि “भाजपा सीएए के नाम पर बंगाल में सांप्रदायिक विभाजन फैलाना चाहती है।” वहीं, भाजपा का कहना है कि सीएए “कानूनी और संवैधानिक” अधिकार है और इसमें किसी को डरने की ज़रूरत नहीं। इस कदम के बाद बंगाल की राजनीति में नई हलचल मच गई है। सीमावर्ती जिलों में यह मुद्दा आगामी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है।