अंतरिक्ष में पृथ्वी हमारी पहचान बन जाती है
अंतरिक्ष बहुत ‘शक्तिशाली इंजन’
मिशन चंद्रमा में आयेगी तेज
पणजी : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र का दौरा करने वाले पहले भारतीय एवं वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को कहा कि जब कोई अंतरिक्ष में जाने के लिए पृथ्वी छोड़ता है, तो पृथ्वी उसकी पहचान बन जाती है। अंतरिक्ष में राष्ट्रीयता मायने नहीं रखती क्योंकि मानवता सर्वोपरि है। ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने साथ ही कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र एक ‘बहुत शक्तिशाली इंजन’ है, जो भारत को ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ायेगा।
किसी कार्यालय जैसा दिखता है अंतरिक्ष केंद्र
शुभांशु ने अंतरिक्ष से जुड़े एक सत्र के संबंध में भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद से संबद्ध स्कूलों के छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष केंद्र से बाहर देखने पर ऐसा लगा जैसे किसी कार्यालय में हों, जहां से सबसे अच्छा दृश्य दिखाई दे रहा हो। यह बेहद रोमांचक था। संवाद सत्र में उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस दुनिया में लोगों की अलग-अलग पहचान हो सकती है लेकिन जब कोई अंतरिक्ष में होता है, तो वे धुंधली हो जाती हैं।
अंतरिक्ष में पृथ्वी हमारी पहचान
शुक्ला ने कहा कि जब मैं (अंतरिक्ष मिशन के लिए) अमेरिका में प्रशिक्षण ले रहा था, तो मेरा देश मेरी पहचान था। जब आप इस ग्रह को छोड़ते हैं, तो आपका ग्रह आपकी पहचान बन जाता है। यह एक ऐसा गहरा एहसास होता है कि पूरी पृथ्वी ही आपका घर है। आप किसी खास महाद्वीप, किसी खास देश, किसी खास क्षेत्र या जहां आप रहते हैं, उस पर ध्यान केंद्रित नहीं करते। आप बस पृथ्वी को देखते हैं और कहते हैं, ‘मैं यहीं रहता हूं’।
अंतरिक्ष क्षेत्र ‘बहुत शक्तिशाली इंजन’
शुक्ला ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अंतरिक्ष एक बहुत ‘शक्तिशाली इंजन’ बनने जा रहा है, जो भारत को ‘विकसित भारत 2047’ के सपने की ओर ले जायेगा। उन्होंने यकीन जताया कि हमने जो गति पैदा की है, वह गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र और अंततः 2040 तक चंद्रमा पर उतरने जैसे मिशन के साथ हर कदम पर और तेज होती जायेगी। गगनयान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष-उड़ान कार्यक्रम है जबकि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन इसका नियोजित कक्षीय अंतरिक्ष स्टेशन है। दोनों मिशन का नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन कर रहा है।