

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान एवं निकोबार प्रदेश कांग्रेस समिति की प्रचार समिति के अध्यक्ष टी.एस.जी. भास्कर ने द्वीपसमूह में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की जल्दबाजी में शुरू की गई प्रक्रिया पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। भास्कर ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में की गई प्रक्रिया की तरह ही अब यह विशेष गहन पुनरीक्षण बारह राज्यों में शुरू किया गया है, जिनमें अधिकांश विपक्ष शासित राज्य हैं, और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि घोषणा, प्रशिक्षण और क्रियान्वयन ये सब कुछ केवल एक सप्ताह के भीतर कर दिया गया, जो अत्यंत जल्दबाजी भरा कदम है। उन्होंने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के बारे में जनता को पहले जागरूक किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। भास्कर ने कहा कि द्वीपसमूह के दूरदराज इलाकों में पहुंचना बेहद कठिन है और ऐसी स्थिति में 4 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक मात्र एक महीने की अवधि बिल्कुल अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि बरमा चाड, कटाई बस्ती जैसे क्षेत्रों में संचार और बिजली की गंभीर समस्या है। ऐसे में बूथ स्तर अधिकारी वहां जाकर फोटोग्राफ इकट्ठा कर विवरण की पुष्टि कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि बूथ स्तर अधिकारी एक दिन में मुश्किल से एक ही गांव का कार्य पूरा कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का उद्देश्य समावेशी होना चाहिए, बहिष्करण नहीं। अगर 3 लाख में से 15 हजार नाम गलती से हटा दिए गए तो कोई भी विपक्षी पार्टी जीत नहीं सकती। इससे इस पूरी प्रक्रिया की मंशा पर संदेह पैदा होता है। भास्कर ने प्रशासन से आग्रह किया कि बूथ स्तर अधिकारी और आम जनता दोनों के लिए इस प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएं जैसे बिजली रहित क्षेत्रों में तत्काल फोटो खींचने के लिए पोलेरॉइड या पोर्टेबल कैमरे की सुविधा। उन्होंने कहा कि कई युवा मतदाता, जिनकी आयु हाल ही में 18 वर्ष हुई है, समय और प्रक्रिया की सीमाओं के कारण शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मतदान नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने चुनाव आयोग व स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया कि इस प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा, “कृपया इसे जल्दबाजी में पूरा न करें। सभी को सही ढंग से पंजीकृत करने के लिए अधिक समय लें और जनता को जागरूक करें कि विशेष गहन पुनरीक्षण क्यों किया जा रहा है और इससे उन्हें क्या लाभ होगा। भास्कर ने अंत में कहा कि यह पुनरीक्षण समावेशन के बजाय बहिष्करण जैसा प्रतीत हो रहा है। हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि द्वीपवासियों की वास्तविक कठिनाइयों को नयी दिल्ली तक पहुंचाया जाए और समय सीमा बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।