पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी दर्ज है PK के नाम

-बंगाल और बिहार के दो वोटर कार्ड होने का आरोप
पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी दर्ज है PK के नाम
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केडी पार्थ, संवाददाता

-कोलकाता : चुनाव आयोग की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) पर यह गंभीर आरोप लगा है कि उनका नाम दो अलग-अलग राज्यों – बिहार और पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में दर्ज है। जानकारी के अनुसार, एक नाम बिहार के हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में पाया गया है, जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले की मतदाता सूची में दर्ज है। इस खुलासे के बाद विपक्षी दलों ने इसे चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन बताया है।

चुनाव आयोग ने मांगी रिपोर्ट

मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने दोनों राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से तत्काल रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने पूछा है कि क्या प्रशांत किशोर ने पहले किसी स्थान से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन किया था या नहीं। अगर ऐसा कोई आवेदन नहीं किया गया है, तो इसे एक ही व्यक्ति का दो स्थानों पर नाम होना के दायरे में रखा जाएगा, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत दंडनीय अपराध है।

प्रशांत किशोर की चुप्पी, राजनीति में चर्चा तेज

इस विवाद पर अब तक प्रशांत किशोर की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि “संभव है, यह एक प्रशासनिक त्रुटि हो, क्योंकि उन्होंने सक्रिय राजनीति से पहले कई राज्यों में काम किया है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे चुनावी नैतिकता से जुड़ा मामला बताते हुए स्पष्ट जवाब की मांग की है। बिहार में जदयू और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े कुछ नेताओं ने कहा है कि “अगर नाम दो जगह पाया गया है, तो आयोग को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

क्यों अहम है यह विवाद

SIR (Statewide Intensive Revision) की घोषणा के ठीक बाद यह मामला सामने आने से राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। आयोग ने हाल ही में कहा था कि मतदाता सूची में किसी भी तरह की दोहरी प्रविष्टि या फर्जी नाम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में प्रशांत किशोर जैसे चर्चित व्यक्ति का नाम दो राज्यों में होना आयोग की साख पर भी सवाल खड़ा कर सकता है।

अगला कदम

आयोग को रिपोर्ट मिलते ही मामले की विस्तृत जांच शुरू की जाएगी। यदि आरोप सही पाए गए, तो प्रशांत किशोर का एक मतदाता पंजीकरण रद्द किया जा सकता है और उन पर कानूनी कार्रवाई भी संभव है। अब सबकी नजरें आयोग की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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