
नई दिल्ली : ओस्टियोपोरोसिस को लेकर जागरूकता लाने के लिए हर साल 20 अक्टूबर वर्ल्ड ओस्टियोपोरोसिस डे मनाया जाता है। इसमें हड्डियां का कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी का असर उम्रदराज लोगों और महिलाओं में अधिक देखा गया है। आजकल कम उम्र की महिलाओं 20-40 वर्ष की आयु में भी यह समस्या सामने आ रही है। इस समस्या से पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक ग्रस्त देखा गया है, 50 साल की उम्र के बाद हर 3 में से 1 महिला में यह समस्या हो रही है।
यह आम समस्या हाई जो जोड़ों की सूजन के कारण होता है। यह एक कमजोर पड़ने वाली मस्क्यूकोस्केलेटल स्थिति है, जो दर्द से जुड़ी होती है। इस बीमारी का इलाज शुरुआती अवस्था में बेहद जरूरी है। इससे हडि्डयों के टूटने/फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। विशेष रूप से हिप्सत, रीढ़ की हड्डी और कलाई की हड्डी में फ्रैक्चर की संभावना सबसे अधिक रहती है। ऐसी स्थिति में जरा सी चोट लगने या कहीं टकराने पर भी हड्डी टूट जाती है। जेपी हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक्स विभाग के चिकित्सक डॉक्टटर अभिषेक कुमार का कहना है कि ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटने की संभावना 50 प्रतिशत लोगों में, ब्रेस्टे कैंसर की संभावना 9 प्रतिशत लोगों में और दिल की बीमारियों की संभावना 31 प्रतिशत लोगों में होती हैं। ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटना एक बड़ी समस्या है, जो अक्सर उम्र बढ़ने के साथ होती है।
ऑस्टियोपोसिस के लक्षण
पीठ में दर्द, जो अक्सर वर्टेबरा में खराबी या फ्रैक्चर के कारण होता है।
समय के साथ झुकने की समस्या।
पीठ में झुकाव, जिससे हड्डी टूटने की संभावना का बढ़ना।
क्या है कारण
कॉर्टिकोस्टेरॉयड, एंटी-डीप्रेसेन्ट, एंटी-हाइपरटेंसिव, एंटी-कॉन्वलसेंट जैसी दवाएं लेने से समस्या बढती है। हाइपरथॉयराइडिज्म रोग में ली जाने वाली दवाएं, जिस व्यक्ति कि पहले कभी हड्डी टूटी हो। भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर की संभावना अधिक होती है। डिप्रेशन भी ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है। डिप्रेशन से कॉर्टिसोल नामक हार्मोन बनता है, जो हड्डियों से मिनरल्स को सोखकर उन्हें कमजोर बनाता है।
क्या है उपाय
एक्सकरसाइज करें, सैर करने, योगा आदि से न केवल मसल्सह मजबूत होती हैं, बल्कि बॉडी में कैल्शियम का बैलेंस भी बना रहता है, आपकी हड्डियां कमजोर हैं तो जॉगिंग, ट्रेडमिल और टेनिस जैसी एक्सैरसाइज करने से बचें।
सही फुटवियर चुनें
कम हील वाले, रबड़ सोल वाले सही फिटिंग वाले फुटवियर पहनें। आर्थराइटिस की समस्या हो तो चलते समय आप छड़ी या डिवाइस का सहारा ले सकते हैं। स्मोाकिंग करने वालों में टूटी हड्डी ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए स्मोहकिंग से बचें।
कैल्शियम हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है। मरीज को रोजाना 1200 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। एक व्यक्ति को 700 मिलीग्राम कैल्शियम अपनी डाइट से मिल जाता है। इसलिए बाकी का 500 मिलीग्राम कैल्शियम उसे सप्लीमेंट के रूप में लेना चाहिए। डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, चीज, योगर्ट, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, सॉफ्ट बोन फिश जैसे टिन्ड सालमन और ट्यूना में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है।
विटामिन डी लें
यह कैल्शियम के अवशोषण में हेल्पम करता है। फोर्टिफाइड फूड्स, नमकीन पानी में रहने वाली मछली और लिवर में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है। यह धूप के सेवन से भी बॉडी में खुद ही बन जाता हैं। ऑस्टियोपोरोसिस पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता है और मेनोपॉज के बाद इसकी संभावना अधिक होती है। यह 55 साल के बाद महिलाओं में अधिक होता है। हालांकि पुरुषों में 65 साल की उम्र के बाद इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस उम्र के बाद हड्डियों का डेक्सा स्कैन कराना चाहिए। इसमें टी-स्कोर के द्वारा मरीज की हड्डियों की डेनसिटी की जांच की जाती है।