हवाईअड्डा प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों को मौजूदा कानूनों के बारे में जागरूक करना जरूरी : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पीठ ने NRI के खिलाफ जारी आपराधिक कार्यवाही रद्द की
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अफसरों की ‘गलती’ NRI को महंगी पड़

हिरण का सींग ले जाना वन्यजीव कानून का उल्लंघन नहीं

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर कानून प्रवर्तन की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसियों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे किसी अंतरराष्ट्रीय यात्री को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने जैसा कठोर कदम उठाने से पहले अपने अधिकारियों को मौजूदा कानूनों के बारे में जागरूक बनायें।

कानून से अनजान अफसरों के कारण हुई गिरफ्तारी

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता के पीठ ने रॉकी अब्राहम नाम के एक प्रवासी भारतीय (NRI) के खिलाफ जारी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। रॉकी दो दशक से अधिक समय पहले इटली में बस गये थे। उन्हें जनवरी 2025 में कथित तौर पर हिरन का सींग ले जाने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत दिल्ली हवाईअड्डे पर हिरासत में ले लिया गया था।

रॉकी के सामान में सींग मिला था हिरन का सींग

हवाईअड्डा अधिकारियों को रॉकी के सामान में सींग मिला, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ वन्यजीव अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी। वे लगभग दो हफ्ते तक हिरासत में रहे, जिसके बाद उन्हें भारत छोड़ने पर प्रतिबंध सहित अन्य कठोर शर्तों के तहत जमानत मिल गयी। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याची के सामान से बरामद वस्तु का DNA परीक्षण किया गया, जिसमें उसके हिरन का सींग होने की बात सामने आयी, जिसे ले जाना भारत में वन या वन्यजीव से संबंधित कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।

जल्दबाजी के बजाय व्यावहारिक दृष्टिकोण जरूरी

पीठ ने कहा कि यह अदालत इस बात की तत्काल आवश्यकता महसूस करती है कि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर कानून प्रवर्तन की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसियों को किसी अंतरराष्ट्रीय यात्री को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने जैसा कठोर कदम उठाने से पहले अपने अधिकारियों को मौजूदा कानूनों के बारे में जागरूक बनाने की जरूरत है। उसने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसा कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठाया जाना चाहिए और उचित कानूनी राय एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। पीठ ने कहा कि ऐसी गलत कार्रवाइयों से अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की प्रतिष्ठा धूमिल होती है, साथ ही संबंधित अधिकारियों का आचरण मानवाधिकार गारंटी के उल्लंघन के दायरे में भी आता है।

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