

कोलकाता: राज्य सरकार ने तपशिली जाति (एससी) प्रमाणपत्र प्रदान करने की प्रक्रिया को और सरल बनाने का निर्णय लिया है। सोमवार को नवान्न में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर सहमति जताई।
सूत्रों के अनुसार, प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जारी किया जा सके, इसके लिए इस दिन की बैठक में प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव रखा गया। अब तक, यदि पिता के पास तपशिली जाति (एससी) का प्रमाण पत्र न हो, तो पुत्र या पुत्री को प्रमाण पत्र पाने के लिए कम से कम दो करीबी रिश्तेदारों के प्रमाण पत्र दिखाना पड़ता था। अब प्रस्ताव है कि दो की जगह केवल एक करीबी रिश्तेदार का प्रमाण पत्र दिखाने पर यह सुविधा मिल सकेगी।
बताया गया है कि सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में अयोग्य व्यक्ति को सूचीबद्ध नहीं होने दिया जाएगा और इसके लिए कड़ी निगरानी रखी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक राज्य तपशिली जाति विकास परिषद की पहल पर हुई, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री ने की।
बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी, मंत्री, विधायक और सांसद शामिल हुए। ‘योग्यश्री’ योजना का लाभ अधिक से अधिक छात्रों तक पहुँचाने के लिए व्यापक प्रचार की आवश्यकता पर भी चर्चा की गयी। बैठक में तृणमूल सांसद व मतुआ महासंघ की नेता ममता बाला ठाकुर ने मतुआ समुदाय से जुड़ी कई मांगें रखीं जिनमें मतुआ विकास बोर्ड को पुनः सक्रिय करना, बागदा में डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर बने अंग्रेजी माध्यम स्कूल को जल्द शुरू करना और मालदा में बसे शरणार्थियों को जमीन का पट्टा प्रदान करना शामिल है। मुख्यमंत्री ने इन मुद्दों की जांच का आश्वासन दिया।
बाद में मुख्यमंत्री ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, हमारी सरकार हमेशा तपशिली जाति समुदाय के अधिकार और विकास के प्रति सजग रही है। बीते 14 वर्षों में कई कदम राष्ट्रीय स्तर पर उदाहरण बने हैं। उन्होंने बताया कि 2010-11 में जहां पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का बजट 160 करोड़ था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 1,761 करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान 1.67 करोड़ जाति प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
‘तपशिली बंधु’ योजना के तहत 11 लाख से ज्यादा लोग हर महीने 1,000 रुपये की सहायता राशि पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी मानवतावादी सरकार हमेशा जाति-धर्म-वर्ण की सीमाओं से परे, राज्य के हर नागरिक के लिए कार्यरत है।