भारत ने इस सोर्स कोड के लिए इजरायल से अनुरोध किया
तेजस Mk1A संरचनात्मक रूप से तैयार
नयी दिल्ली : हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के तेजस Mk1-A की उड़ान पूरी करने और इसके वायुसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बनने के लिए तैयार होने के बावजूद इसकी सुपुर्दगी में अभी और देरी हो सकती है। इस देरी की वजह तेजस में लगने वाला इजरायली रडार है, जो इसे बेहद मारक बना देता है लेकिन तेजस Mk1-A के हथियारों और रडार को कनेक्ट करने में दिक्कत आ रही है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए रडार सिस्टम के सोर्स कोड की जरूरत है जो अब तक इजरायल से नहीं मिला है।
DRDO करता है रडार का लाइसेंस प्रोडक्शन
डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार इजरायल के साथ समझौते के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) इस रडार का लाइसेंस प्रोडक्शन करता है। तेजस Mk1A के हथियारों और रडार को कनेक्ट करने में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए DRDO को इस रडार सिस्टम के सोर्स कोड की जरूरत है लेकिन यह सोर्स कोड इजरायल के पास है। अब भारत ने इस सोर्स कोड के लिए इजरायल से अनुरोध किया है। इजरायल से सोर्स काड मिलने के बाद ही तेजस Mk1-A वायुसेना के बेड़े का हिस्सा बन पायेगा।
सोर्स कोड, जिसका ग्रीन सिग्नल देगा इजरायल
रिपोर्ट के अनुसार, तेजस Mk1-A में स्वदेशी अस्त्र MK1 मिसाइल लगनी है। इसके साथ ही इस लड़ाकू विमान में इजरायली रडार भी लगना है, जिसके सॉफ्टवेयर यानी सोर्स कोड के लिए इजरायल के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है। हाल ही में एक कार्यक्रम में HAL के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने कहा कि यह लड़ाकू विमान अब संरचनात्मक रूप से तैयार है। उन्होंने बताया कि इसके रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) प्रणालियों या हथियार क्षमताओं में भविष्य में होने वाले किसी भी एडवांसमेंट के लिए सॉफ्टवेयर संबंधी मसलों से निपटना काफी आसान होगा। यह आत्मविश्वास 17 अक्टूबर को तब सामने आया, जब HAL के नासिक संयंत्र में निर्मित पहले तेजस Mk1-A विमान ने अपनी पहली उड़ान पूरी की। इस जेट में अब उन्नत इजरायली मूल का ELTA EL/M-2052 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार भी लगना है, जो अभी कई टेस्ट से गुजर रहा है।
EL/M-2052 रडार का मुख्य सॉफ्टवेयर
इजरायली EL/M-2052 रडार, जिसे लाइसेंस समझौते के तहत HAL द्वारा भारत में बनाया गया है, तेजसMk1-A की पुरानी प्रणाली की तुलना में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह जेट को दिखाई देने वाली सीमा से परे (BVR) दूरी पर 150 किलोमीटर तक कई लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। इस रडार का मुख्य सॉफ्टवेयर और फर्मवेयर मूल डिजाइनर, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के स्वामित्व नियंत्रण में है। रक्षा विश्लेषकों और वायुसेना के अधिकारियों ने सवाल उठाया है कि भारत निर्मित मिसाइल और स्थानीय रूप से निर्मित रडार के सोर्स कोड के लिए इजरायल पर निर्भर क्यों हैं। यह समस्या रडार के लिए 2016 के अनुबंध में है, जो वायुसेना को सिस्टम के मुख्य सॉफ्टवेयर पर नियंत्रण प्रदान करता है।