पिछले साल घृणा झेली, अब लोगों के लिए प्रेरणा बनी जेमिमा

सांप्रदायिक धमकियों के बावजूद बढ़ाया देश का मान
जेमिमा रोड्रिग्स
जेमिमा रोड्रिग्सAlex Davidson-ICC
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कोलकाता: मुंबई की जेमिमा रोड्रिग्स ने 30 अक्टूबर की रात भारतीय क्रिकेट इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अपना नाम लिख दिया। डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए महिला वनडे विश्वकप सेमीफाइनल में उन्होंने कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया जैसी अपराजेय टीम को हार का स्वाद चखा दिया।

127 रनों की नाबाद पारी खेलते हुए जेमिमा ने भारत को 339 रनों के कठिन लक्ष्य तक पहुंचाया। यह महिला वनडे क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा सफल रन चेज़ था। जब वह मैदान से लौटीं, तो सोशल मीडिया पर उन्हें 'भारत का गर्व' कहा गया। यह वही जेमिमा हैं जिन्हें एक साल पहले धर्म के आधार पर घृणा का सामना करना पड़ा था।

कुछ सांप्रदायिक चैनलों और ट्रोल समूहों ने केवल उनके ईसाई होने के कारण उन पर हमला बोला था। मुंबई के प्रसिद्ध खार जिमखाना ने उनके पिता इवान रोड्रिग्स पर 'धार्मिक गतिविधियों' के आरोप लगाकर उनकी मानद सदस्यता रद्द कर दी थी जबकि बाद में क्लब के अध्यक्ष विवेक देवनानी ने स्पष्ट किया था कि यह विवाद क्लब के अंदरूनी राजनीति का नतीजा था और किसी प्रकार के 'धर्मांतरण' की बात निराधार थी।

उस कठिन दौर में रोड्रिग्स परिवार ने चुप्पी साध ली थी। लेकिन अब मैदान पर जेमिमा ने अपने बल्ले से जवाब दिया है। मैच के बाद भावुक जेमिमा ने कहा, मैं यह अपने दम पर नहीं कर सकती थी। मैं यीशु का धन्यवाद करती हूं कि उन्होंने मेरे लिए यह लड़ाई लड़ी। उन्होंने बताया कि जब वह थकान से चूर थीं, तब वह बाइबिल की पंक्ति दोहरा रही थीं — हौंसला रखो, ईश्वर तुम्हारे लिए युद्ध करेगा।

आज जेमिमा सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि संघर्ष, सहिष्णुता और आत्मविश्वास की जीती-जागती प्रतीक बन चुकी हैं जिन्होंने नफरत के बीच अपनी आस्था को नहीं छोड़ा और देश का मान बढ़ाया।

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