कुम्हारटोली में तैयारियां जोरों पर
कोलकाता : या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। सुख व समृद्धि की प्रतीक मां दुर्गा के आगमन में महज कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। जैसा की हम सब जानते हैं की बंगाल का दुर्गा पूजा विश्वप्रसिद्ध है। कुम्हारटोली में मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में पूरी तरह जुटे हुए हैं। यहां चारों ओर मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्तियां बनाते नजर आ रहे हैं। कुम्हारटोली अपनी मूर्तिकला कौशल के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां से मूर्तियां सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि देश विदेशों में भी जाती हैं। बताते चलें कि दुर्गा पूजा के अंतिम चरण की तैयारियां जोरो पर है और यहां भरपूर रौनक देखने को मिल रही है। कलाकारों द्वारा मां का श्रृंगार करके प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मूर्तिकारों के मुताबिक मां दुर्गा की प्रतिमा का लगभग 80% काम पूरा हो चुका है। मूर्तियों के साथ ही सजावट की दुकानों में भी लोगों की खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ रही है। सभी लोग शक्ति की देवी के स्वागत का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
आरजी कर घटना का खास असर नहीं पड़ा कुम्हारटोली पर
कुम्हारटोली के मूर्तिकारों के मुताबिक आरजी कर में हुई घटना का उन लोगों के व्यवसाय पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मूर्तिकारों को दुर्गा पूजा के लिए मां की मूर्तियों का ऑर्डर मार्च व अप्रैल महीने तक मिल जाता है। उल्लखनीय है कि आरजी कर घटना के प्रतिवाद में कुम्हारटोली के मूर्तिकारों ने रैली निकाली थी। इस घटना के विरोध में अभया के लिए न्याय की मांग की गई। इस समय कुम्हारटोली की गलियों में पूजा को लेकर जैसी भीड़ देखने को मिलती थी, उस मुताबिक इस वर्ष भीड़ थोड़ी कम है। मां दुर्गा के आगमन से पहले पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। चारों ओर ढाक व मां दुर्गा के मंत्रों की गूंज सुनाई दे रही हैं।
मूर्तिकारों ने यह कहा
मूर्तिकार समित पाल ने कहा कि वह मूर्ति बनाने का काम बचपन से करते आ रहे हैं। उनके दुकान पर 1400 से लेकर 3000 तक की मूर्तियां उपलब्ध है। सुषमा रुद्रपाल मित्रा ने कहा कि वह मां दुर्गा की प्रतिमा को बहुत भक्ति भाव से रंगों से भरकर अंतिम रूप देती हैं। आरजी कर में हुई घटना ने लोगों को काफी निराश किया है, मगर मां के स्वागत में कोई कमी नहीं होगी। संजीव पाल ने कहा कि वह दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्ग की मूर्तियां बनाने का काम 3 से 4 महीने पहले ही शुरू कर देते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बार भीड़ में थोड़ी कमी आई है, मगर उम्मीद करते हैं की आने वाले दिनों में लोग पूजा की ओर रूख करें।