

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता :
मध्य प्रदेश में एक विशेष कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद, कोलकाता में दवा दुकानों ने बच्चों को दी जाने वाली कफ सिरप को लेकर सख़्ती बरतनी शुरू कर दी है। अब अधिकांश मेडिकल स्टोर्स पर बच्चों की दवाएं, विशेष रूप से कफ सिरप, बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं दी जा रही हैं। दवा विक्रेताओं का कहना है कि जब तक डॉक्टर से फ़ोन पर पुष्टि नहीं हो जाती, वे कफ सिरप नहीं बेचेंगे।
बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (बीसीडीए) ने शनिवार रात अपने सभी थोक और खुदरा विक्रेताओं को श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री से परहेज़ करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि इस दवा के सेवन से मध्य प्रदेश में कुछ बच्चों की मौत हुई थी, जिसके बाद वहाँ की सरकार ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
बीसीडीए के महासचिव पृथ्वी बोस ने बताया, “स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की सलाह के अनुसार दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। सामान्यतः पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी ये दवाएं नहीं दी जातीं। हमने अपने सभी सदस्यों को केंद्र की इस सलाह से अवगत करा दिया है।
एलाइड मेडिकल के शेखर साहा ने कहा, “मरीज़ों में खुद से दवा लेने की प्रवृत्ति आम है, लेकिन हमने अपने स्टाफ को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि बिना डॉक्टर की पर्ची के कोई भी कफ सिरप न बेचा जाए। यदि ज़रूरत हो, तो डॉक्टर से फ़ोन पर पुष्टि ली जाए
खुदरा दवा विक्रेताओं ने स्वास्थ्य महानिदेशालय की सलाह में और अधिक स्पष्टता की मांग की है। मेट्रो फार्मा के सोमनाथ घोष ने कहा, “डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं की संरचना को लेकर सलाह में पर्याप्त स्पष्टता नहीं है। डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड युक्त सिरप को लेकर बाजार में भय का माहौल है। हम राज्य सरकार द्वारा इस पर अधिसूचना जारी करने का इंतज़ार कर रहे हैं।
घोष ने यह भी कहा कि शहर के मुकाबले उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में इस विषय में जागरूकता की भारी कमी है। वहाँ की दवा दुकानों में बिना पर्ची के दवा देने की प्रवृत्ति अभी भी बनी हुई है। ऐसे में पूरे राज्य स्तर पर अभियान चलाकर जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है।