H-1B वीजाधारकों के ‘स्टेटस’ बदलवाने या प्रवास अवधि बढ़वाने पर नया शुल्क नहीं

USCIS ने जारी किये नये दिशा-निर्देश
h-1b visanew guidelines by USCIS
H-1B : USCIS ने जारी किये नये दिशा-निर्देश
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मौजूदा H-1B धारक के अमेरिका में आने-जाने पर रोक नहीं

कंपनियां करती हैं H-1B आवेदकों को प्रायोजित करने के लिए भुगतान

USCC ने किया था निर्णय के खिलाफ मुकदमा

वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क : अमेरिका में H-1B वीजा आवेदनों पर ट्रंप प्रशासन की ओर से लगाया गया एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क ऐसे आवेदकों पर लागू नहीं होगा, जो अपने ‘स्टेटस’ में बदलाव कराना चाहते हैं या फिर प्रवास की अवधि बढ़वाना चाहते हैं। नये दिशा-निर्देशों में यह जानकारी दी गयी है।

USCIS ने ट्रंप के 19 सितंबर के आदेश में दी गयी छूट को स्पष्ट किया

अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) द्वारा सोमवार को जारी दिशा-निर्देशों में कुछ गैर-आप्रवासी (NR) कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 19 सितंबर के आदेश में दी गयी छूट को स्पष्ट किया गया है। ट्रंप की घोषणा के तहत नये H-1B वीजा के लिए शुल्क बढ़कर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) हो जायेगा। USCIS ने कहा कि यह आदेश पहले जारी किये गये और वर्तमान में मान्य H-1B वीजा या 21 सितंबर, 2025 को रात 12:01 बजे से पहले जमा किये गये किसी भी आवेदन पर लागू नहीं होगा। USCIS ने यह भी बताया कि इस आदेश में किसी भी मौजूदा H-1B धारक के अमेरिका में आने-जाने पर रोक नहीं है।

H-1B आवेदनों में 71% भारतीय

USCIS ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क ‘स्टेटस में परिवर्तन’ के मामलों पर लागू नहीं होता है, जहां व्यक्ति देश छोड़े बिना ही श्रेणी बदल लेता है, जैसे कि एफ-1 छात्र की स्थिति से H-1B की स्थिति में जाना। ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में H-1B वीजा के लिए शुल्क को बढ़ाकर प्रतिवर्ष 100,000 अमेरिकी डॉलर कर दिया गया है, जिससे अमेरिका में वीजा प्राप्त भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। USCIS के अनुसार हाल के वर्षों में स्वीकृत सभी H-1B आवेदनों में से लगभग 71 प्रतिशत भारतीय हैं। कंपनियां H-1B आवेदकों को प्रायोजित करने के लिए भुगतान करती हैं।

USCC ने ट्रंप की नीति को कहा था ‘भ्रामक और गैरकानूनी’

ये दिशा-निर्देश अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स (USCC) द्वारा ट्रंप प्रशासन के शुल्क लगाने के निर्णय के विरुद्ध मुकदमा दायर करने के कुछ दिनों बाद जारी किये गये हैं। चैंबर ने इसे ‘भ्रामक नीति और स्पष्ट रूप से गैरकानूनी’ कार्रवाई बताया है, जो अमेरिकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकती है। कोलंबिया की एक अदालत में 16 अक्टूबर को दायर मुकदमे में इस आदेश को चुनौती दी गयी और कहा गया कि यह राष्ट्रपति के वैध अधिकार का अतिक्रमण है।

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