दिल्ली में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण

कृत्रिम बारिश के लिए रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी
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रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी-
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विमान ने दिल्ली के कई क्षेत्रों में किया रसायनों का छिड़काव

अगले कुछ दिनों में नौ से दस परीक्षण करने की योजना

बादलों का निर्माण करने के लिए हवा में होनी चाहिए 50% नमी

नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने की कोशिश के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर के सहयोग से मंगलवार को राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण किया तथा अगले कुछ दिनों में इस तरह के और परीक्षण किये जाने की योजना है। कृत्रिम बारिश के लिए रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और मेरठ की हवाईपट्टी पर उतरने से पहले बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे क्षेत्रों में रसायनों का छिड़काव किया।

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मेरठ उतरने से पहले विमान किया दिल्ली के इलाकों में रसायनों का छिड़काव

परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर हो सकती है बारिश

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि अगले कुछ दिनों में इस तरह के और परीक्षण किये जाने की योजना है। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा कि सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी। इसने आठ चरणों में रसायनों का छिड़काव किया और परीक्षण आधे घंटे तक चला। उन्होंने कहा कि IIT, कानपुर का मानना है कि परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में नौ से दस परीक्षण करने की योजना है। प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। अगर परीक्षण सफल रहे, तो हम एक दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे।

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रसायनों के छिड़काव के लिए प्रयुक्त विमान-

IIT कानपुर के साथ पांच परीक्षणों का समझौता

अधिकारियों ने बताया कि पिछले हफ्ते बुराड़ी के आसमान में भी विमान ने एक परीक्षण उड़ान भरी थी। परीक्षण के दौरान विमान से कृत्रिम वर्षा कराने वाले ‘सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों’ की सीमित मात्रा का छिड़काव किया गया था। हालांकि बारिश वाले बादलों का निर्माण करने के लिए हवा में कम से कम 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए लेकिन नमी 20 प्रतिशत से भी कम होने की वजह से बारिश नहीं हुई। दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर को IIT कानपुर के साथ कृत्रिम बारिश के पांच परीक्षणों के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इससे पहले IIT कानपुर को एक अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच किसी भी समय परीक्षण करने की अनुमति दी थी। दिल्ली मंत्रिमंडल ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से कृत्रिम बारिश के लिए पांच परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

क्या है कृत्रिम बारिश?

कृत्रिम बारिश एक ऐसी तकनीक है जिसमें सामान्य बादलों को हवा में मौजूद नमी को रसायनों की मदद से बरसने वाले बादलों में परिवर्तित किया जाता है और इससे अधिक बारिश होती है। पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार बादल में वातावरण की नमी को संघनित करने के लिए आमतौर पर विमान के जरिये आधार कण जोड़े जाते हैं जिन्हें ‘बीज’ कहा जाता है इनके चारों ओर जल वाष्प संघनित होता है। ठंडे बादलों में जहां तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे होता है, ‘सिल्वर आयोडाइड’ के कण डाले जाते हैं, जिससे पानी और बर्फ संघनित हो जाती है। भारी होने के कारण, ये जल कण नीचे गिरते हैं। गर्म बादलों में, जहां तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है, सोडियम क्लोराइड या पोटेशियम क्लोराइड जैसे रासायनिक घोल का उपयोग पानी की बूंदों के संलयन को बढ़ावा देने और वर्षा निर्माण की दक्षता में सुधार करने के लिए ‘सीडिंग एजेंट’ के रूप में किया जाता है।

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