कोटा की एमबीबीएस सीटें राज्यों को नहीं लौटाई जाएंगी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में बदलाव

कोटा की एमबीबीएस सीटें राज्यों को नहीं लौटाई जाएंगी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में बदलाव
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सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आयुर्विज्ञान संस्थान (ANIIMS) ने स्पष्ट किया है कि अखिल भारतीय कोटा (AIQ) के अंतर्गत आरक्षित एमबीबीएस सीटें अब संबंधित राज्यों को वापस नहीं लौटाई जाएंगी, जैसा कि पहले की प्रक्रिया में होता था। यह निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशों के तहत लिया गया है।

ANIIMS द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 18 दिसंबर 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय के ADG (ME) कार्यालय द्वारा जो अधिसूचना जारी की गई थी, उसके अनुसार अब AIQ की दूसरी काउंसिलिंग के बाद कोई भी खाली सीट राज्यों को नहीं लौटाई जाएगी। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा “निहिला पीपी बनाम मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी” केस में दिए गए निर्णय के अनुपालन में लागू किया गया है।

इस आदेश के तहत अखिल भारतीय कोटा की सीटों के लिए चार ऑनलाइन काउंसिलिंग राउंड निर्धारित किए गए हैं:

  1. राउंड-I

  2. राउंड-II

  3. मॉप-अप राउंड

  4. स्ट्रे वैकेंसी राउंड

पहले की व्यवस्था में, अगर राउंड-II के बाद भी सीटें खाली रह जाती थीं, तो वे संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों को लौटा दी जाती थीं। लेकिन अब इन सीटों को AIQ मॉप-अप और स्ट्रे वैकेंसी राउंड के माध्यम से भरने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी एमबीबीएस सीट खाली न रह जाए और सीटों का अधिकतम उपयोग हो।

ANIIMS ने यह भी जानकारी दी कि संस्थान में कुल 114 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं, जिनमें से 15 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटा के अंतर्गत आती हैं। इसका अर्थ है कि हर वर्ष 17 सीटें AIQ के लिए आरक्षित रहती हैं। 18 दिसंबर 2021 से लागू नई व्यवस्था के बाद से अब तक हर वर्ष इन सभी सीटों को सफलतापूर्वक भर लिया गया है, और कोई भी सीट रिक्त नहीं रही है।

संस्थान ने यह भी बताया कि काउंसिलिंग की पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता, निष्पक्षता और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि देशभर के योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर मिले, और कोई भी सीट प्रशासनिक या तकनीकी कारणों से बेकार न जाए।

यह निर्णय देशभर में मेडिकल शिक्षा में समानता और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। साथ ही इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि अखिल भारतीय कोटा का पूरा लाभ पात्र छात्रों को मिले, और कोई सीट बर्बाद न हो।

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