आखिरकार बचा ली गयी उसकी जान

पांच मंजिला छत पर फंसा वन बिलाव, दमकल कर्मियों ने मिस्त्री की मदद से बचाई जान, मानवीय प्रयास की सराहना
A wild cat was trapped on a five-story roof; firefighters, with the help of a mechanic, rescued it. The humanitarian effort was appreciated.
सांकेतिक फोटो
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

नदिया (शांतिपुर): नदिया जिले के शांतिपुर स्थित मतिगंज मोड़ पर शुक्रवार की रात घटी एक अनूठी घटना में, एक वन बिलाव (Jungle Cat) पाँच मंजिला इमारत की टिन की अस्थाई छत के ऊपरी हिस्से में बुरी तरह से फंस गया। इस वन्यजीव की जान बचाने के लिए शनिवार की सुबह दमकल विभाग के कर्मचारियों ने एक जटिल बचाव अभियान चलाया, जिसमें एक स्थानीय मिस्त्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बचाव दल के सामने बड़ी चुनौती स्थानीय लोगों ने शुक्रवार देर रात टिन की छत पर कुछ हलचल देखी थी और सुबह होते ही उन्हें पता चला कि एक वन्यजीव वहां फंसा हुआ है। सूचना मिलते ही शांतिपुर अग्निशमन केंद्र के कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंचे। बचाव दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती इमारत की अत्यधिक ऊँचाई थी। दमकल की मानक सीढ़ी भी पाँचवीं मंजिल पर बनी टिन की छत तक नहीं पहुँच पा रही थी। इसके अलावा, टिन की अस्थायी छत बेहद फिसलन भरी थी, जिससे किसी भी बचावकर्मी का उस पर चढ़ना अत्यंत जोखिम भरा था। दमकल कर्मी यह जोखिम लेने को तैयार नहीं थे, क्योंकि एक गलत कदम से न केवल बचावकर्मी की जान को खतरा हो सकता था, बल्कि वन्यजीव भी घायल हो सकता था।

दमकल कर्मियों ने निकाला अनूठा समाधान स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, दमकल कर्मियों ने एक रचनात्मक और अनूठा समाधान निकाला। उन्होंने तुरंत इमारत प्रबंधन (बिल्डिंग कमेटी) से संपर्क साधा और उस मिस्त्री (श्रमिक) को बुलाया, जिसने वह टिन की अस्थायी छत लगाई थी।

मिस्त्री ने मौके पर आकर स्थिति का जायजा लिया। चूंकि वह छत की संरचना और पकड़ के बिंदुओं को अच्छी तरह से जानता था, उसने खुद ही बिलाव को सुरक्षित निकालने की पहल की। दमकल कर्मियों ने तुरंत उस मिस्त्री को जरूरी सुरक्षात्मक उपकरण—जैसे कि दस्ताने और अन्य सहायता — प्रदान की। साथ ही, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए दमकल कर्मियों ने नीचे पूरी व्यवस्थाएँ तैयार रखीं।

श्रमिक के प्रयास से मिली सफलता मिस्त्री के सूझबूझ और साहस भरे प्रयासों से आखिरकार, घंटों की मशक्कत के बाद, फंसे हुए वन बिलाव को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। बाद में पता चला कि यह वन बिलाव दुर्घटनावश किसी संकीर्ण जगह से नीचे आया था और उसकी पूंछ या पैर टिन की चादरों के बीच फंस गए थे। वन्यजीव की जान बचाए जाने के बाद, दमकल कर्मियों ने उसे किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया, जिसके बाद वह अपने प्राकृतिक आवास, पास के एक केले के बागान में लौट गया।

इस पूरे मानवीय और सफल बचाव अभियान के लिए स्थानीय लोगों ने दमकल विभाग के कर्मचारियों और विशेष रूप से छत बनाने वाले मिस्त्री के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। लोगों ने कहा कि एक जीव की जान बचाई जा सकी, यही सबसे बड़ी बात है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सामूहिक मानवीय प्रयास से कठिन से कठिन चुनौतियाँ भी पार की जा सकती हैं।

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