कोलकाता एयरपोर्ट : भारत का ऐतिहासिक ‘गेटवे’

नवंबर 1937 में सुभाष चंद्र बोस का लंदन के लिए कलकत्ता हवाई अड्डे से प्रस्थान
नवंबर 1937 में सुभाष चंद्र बोस का लंदन के लिए कलकत्ता हवाई अड्डे से प्रस्थान
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नेहा, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : दिसंबर 1903 में राइट ब्रदर्स की पहली उड़ान ने मानव सभ्यता को नई दिशा दी। कुछ ही दशकों में हवाई यात्रा विश्व परिवहन का अहम हिस्सा बन गई। 20वीं सदी के आरंभिक वर्षों में कोलकाता, जो तब कलकत्ता कहलाता था, भारत का अंतरराष्ट्रीय केंद्र था और स्वाभाविक रूप से यहां हवाई यात्रा का उदय होना तय था। कोलकाता का विमानन इतिहास दमदम से नहीं, बल्कि टॉलीगंज से शुरू हुआ। 28 दिसंबर 1910 को यहां भारत का पहला एयर शो हुआ, जिसमें दो एयरशिप ने 21 यात्रियों को लेकर उड़ान भरी। 1912 में दो फ्रांसीसी पायलटों ने कोलकाता मैदान से उड़ान भरी। 1920 में रोम से टोक्यो जा रहे इटालियन विमान दल ने विक्टोरिया मेमोरियल के पास अस्थायी रूप से ठहराव किया। यहां तक कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रेड रोड को अमेरिकी बमवर्षक विमानों की रनवे के रूप में इस्तेमाल किया गया।

1924 से दमदम कोलकाता की हवाई गतिविधियों का मुख्य केंद्र

कोलकाता एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 1924 से दमदम कोलकाता की हवाई गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनने लगा। 1930 में इसका रनवे बना। उसी वर्ष डच पायलटों ने मशालों की रोशनी में पहली बार रात में लैंडिंग की। धीरे-धीरे यह हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का प्रमुख केंद्र बन गया। 1930 के दशक में जब इम्पीरियल एयरवेज और KLM ने कोलकाता-लंदन सेवा शुरू की, तब सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता नियमित यात्री बने। नवंबर 1937 में वे पहली बार कोलकाता से लंदन गए थे। 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद जब वे लंदन से लौटे तो दमदम एयरपोर्ट पर ऐतिहासिक स्वागत हुआ। आज उनका नाम इस एयरपोर्ट से जुड़ा होना गौरव की बात है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कोलकाता एयरपोर्ट अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी बना। 1954 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा और 1956 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई तकनीकी खराबी के कारण यहां रुके। इंदिरा गांधी को भी सत्ता से बाहर होने के बाद इसी एयरपोर्ट पर रात गुजारनी पड़ी थी।

कई खास कारणों से ऐतिहासिक है कोलकाता एयरपोर्ट

भारत की पहली एयर कार्गो सेवा भी 21 मई 1927 को यहीं से शुरू हुई थी, हालांकि व्यावसायिक कारणों से यह कुछ दिनों में बंद हो गई। कोलकाता ने भारत को दो प्रमुख विमानन प्रशिक्षण संस्थान भी दिए — 1928 में स्थापित बंगाल फ्लाइंग क्लब, जो एशिया का पहला निजी पायलट प्रशिक्षण स्कूल था, और 1948 में स्थापित एयर टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट। 1984 में राजीव गांधी को अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या की खबर भी यहीं एयरपोर्ट पर BBC रेडियो से मिली थी। 1991 में वे आखिरी बार यहीं से विमान उड़ा कर चुनाव प्रचार के लिए गए थे। दमदम, जिसे आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कहा जाता है, ने बीते सौ वर्षों में भारत की हवाई यात्रा, राजनीति और इतिहास — तीनों को जोड़ा है। यह केवल एक एयरपोर्ट नहीं, बल्कि कोलकाता की वैश्विक पहचान का प्रतीक है।

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