
नई दिल्ली : अभी तक माना जाता रहा है कि मेनोपॉज के बाद एक महिला के लिए मां बनना संभव नहीं है, लेकिन मेडिकल साइंस ने अब तरक्की कर ली है और अब मेनोपॉज के बाद भी कोई औरत मां बन सकती हैं। दरअसल महिलाओं में रजोनिवृति या मेनोपॉज के बाद गर्भाशय में अंडों के निर्माण की प्रक्रिया बंद हो जाती है, जिसके कारण महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं करती हैं, महिलाएं जिनकी उम्र 40 साल से अधिक है या मेनोपॉज की स्थिति में पहुंच चुकी हैं वह भी आईवीएफ तकनीक के जरिये अब मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती हैं। इस प्रक्रिया में आवश्यक नहीं है कि महिला को मासिक धर्म होता ही हो या उसके अंडाशय में अंडे बनते ही हों। इस प्रक्रिया द्वारा 40 से 50 उम्र की महिलाएं भी मातृत्व का सुख पा सकती हैं।
इंदिरा आईवीफ हॉस्पिटल, नई दिल्ली की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सागारिका अग्रवाल का कहना है कि दरअसल लोगों में टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर अभी भी बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं, जैसे कि वह किसी और का बच्चा होता है, वह बच्चा स्वस्थ नहीं होता, आईवीएफ प्रक्रिया के मां या बच्चे पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। अब तक विश्व भर में अब तक लगभग 80 लाख से ज्यादा बच्चे इस तकनीक द्वारा जन्म ले चुके हैं।
पुरूषों पर ये है प्रभाव
एक रिपोर्ट के मुताबिक उम्र बढऩे के साथ पुरूषों के सीमन उत्सर्जन की क्षमता घटती जाती है और इससे स्पर्म की गुणवत्ता भी कम होती जाती है। जैसे 50 साल का पुरूष 30 साल के पुरूष की अपेक्षा 20 फीसदी कम सीमन का उत्सर्जन करता है। उम्र बढऩे के साथ ही सीमन के एग तक पहुंचने की गति भी धीमी पड़ जाती है और उम्रदराज लोगों के पिता बनने की संभावनाएं भी कमजोर हो जाती हैं।
हालांकि पुरूषों का बॉयोलॉजिकल क्लॉक महिलाओं जितनी तेजी से नहीं चलता। हालांकि महिलाओं की प्रजनन क्षमता पुरूषों की अपेक्षा तेजी से घटती है। महिलाओं की प्रजनन क्षमता घटने की शुरूआत 30 की उम्र में होती है और 35 से 40 के बीच ये बहुत ही तेजी से घटती है, जबकि पुरूषों में घटने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती बल्कि प्रजनन क्षमता काफी धीरे-धीरे घटती रहती है। इन्ट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन में एक अंडे में एक शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है। यह तकनीक कम शुक्राणु वाले पुरूषों के लिए कारगर साबित हुई है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को ऐसे मजबूत बनाएं
बदलते लाइफ स्टाइल के कारण लोगों को इस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। अनियमित जीवनशैली नि:संतानता का एक प्रमुख कारण है। इस समस्या से बचने के लिए अपने जीवन में नियमित व्यायाम, योग-प्राणायाम को शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। व्यक्ति को सिगरेट, शराब या किसी भी प्रकार के हानिकारक नशे से दूर रहना चाहिए।
क्या हो खानपान
बढ़ती उम्र के साथ शरीर को पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है। बढती उम्र के साथ शरीर की कोशिकाओं और ऊतको की वृद्धि धीमी हो जाती है और प्रतिरोधक क्षमता घटती जाती है और थकान और शारीरिक गतिविधियों में कमी जैसी समस्या होने लगती है। खानपान सही रखकर स्वस्थ रहा जा सकता है। आईवीएफ तकनीक के लिए उचित और स्वस्थ आहार बेहद जरूरी है।
क्या है विकल्प
प्रजनन के लिए 35 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता ख़राब होने की संभावना रहती है। ऐसे में आईवीएफ का विकल्प चुन सकती है और अगर अंडों की गुणवत्ता ज्यादा खराब है, तो यह आईवीएफ के साथ डोनर एग का विकल्प चुन सकती है। जब किसी महिला के अंडों की गुणवत्ता बेहद खराब होती है, तो किसी अन्य स्वस्थ्य महिला के स्वस्थ्य अंडे आईवीएफ तकनीक द्वारा निकाल लिये जाते हैं और उक्त महिला के पति के शुक्राणु के साथ निषेचित कर लैब में भ्रूण बनाया जाता है। इसे आईवीएफ-एग डोनर तकनीक कहा जाता है.