
नई दिल्ली : असुरक्षित यौन संबंधों के कारण यौन संचारित संक्रमण रोगों के मामले बढ़ रहे हैं। आम तौर पर शर्म और संकोच के कारण शुरुआती समय में महिलाएं डॉक्टर के पास नहीं जाती, जिसके कारण कई बार मामला और बिगड़ जाता है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज जिन्हें एसडीटी या यौन संचारित रोग भी कहा जाता है, जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में जाते हैं। जागरूकता नहीं होने के कारण व्यक्ति की जान भी जा सकती है। एड्स के अलावा भी बहुत से ऐसे यौन संचारित रोग हैं, जिसका कारण यौन संक्रमण होता है। अगर एक गर्भवती महिला एसटीडी से पीडि़त है तो उसके शिशु को भी इसके कारण गंभीर रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
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क्या है कारण
यौन संचारित रोग आम तौर पर लापरवाही के कारण बढ़ते हैं। सेफ सेक्स के लिए आज भी लोग कॉन्डम का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते।
दुनियाभर में बढ़ रहे हैं ऐसे मामले
जून 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दिया था कि हर रोज यौन संचारित संक्रमण के औसतन दस लाख से अधिक मामले सामने आते हैं, जिसमें वर्ष 2016 में 15 से 49 वर्ष की महिला और पुरुषों में पूरी दुनिया में सिफलिस, जननांग में संक्रमण, गोनोरिया, इन्टरनल पार्ट में जलन, बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण जैसे लगभग 376.4 मिलियन नए मामले सामने आए। हाल के वर्षों में ये मामले बढे हैं। हालांकि यौन संचारित संक्रमण ठीक हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का इस बारे में कहना है कि इन रोगों के उपचार और इनसे बचाव के लिए जरूरी सेवाओं तक हर किसी की पहुंच बनाना और संगठित प्रयास जरूरी है।
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भारत में एसटीडी के मामले
डॉक्टर्स का इस बारे में कहना है कि आमतौर पर लोग यह स्वीकार नहीं करते कि वे असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं। कॉलेज के छात्रों और युवाओं में ऐसे अधिकतर मामले हैं। भारत जैसे देश में सामाजिक दबाव की वजह से युवा इन बीमारियों पर खुलकर बात नहीं कर पाते। भारत में यौन संचारित संक्रमण के मामलों को आमतौर पर अनदेखा कर दिया जाता है। यौन रोगों में कई बीमारियों के लक्षण तो निष्क्रिय होते हैं, जिसका लक्षण दिखाई भी नहीं देता।हालांकि गोनोरिया जैसे संक्रमण में मरीज की ट्यूब प्रभावित होती है और ये गर्भ धारण करने की प्रक्रिया पर बुरा असर डालते हैं।
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मुंह और गले का कैंसर
हालिया रिसर्च के मुताबिक असुरक्षित यौन संबंधों के कारण मुंह और गले का कैंसर जैसे मामले बढ़ रहे हैं। यह शोध का विषय है और मुंह और गले के कैंसर का पता लार और सलाइवा की टेस्टिंग के द्वारा चल सकेगा। हाल ही यह रिसर्च जर्नल ऑफ मॉलेक्यूलर डाइग्नॉस्टिक में पब्लिश हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टेस्टिंग के दौरान अकाउस्टोफ्लुइडिक्स मेथड का यूज करके इन कैंसर के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस मेथड से सलाइवा की जांच करके उसमें मौजूद वायरस के जरिए कैंसर का पता लगाया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हर साल करीब 1 लाख 20 हजार लोगों में मुंह और गले का कैंसर पाया जाता है। विकसित देशों में लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
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क्या है बचाव
– एक ही व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाएं।
– आप जिस व्यक्ति के साथ संबंध बना रहे हैं, उस पर आपको पूरा भरोसा होना चाहिए।
– संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें।
– हेपेटाइटिस बी और एचपीवी से बचाव के लिए आप टीकाकरण भी कर सकते हैं।
– एचपीवी वैक्सीनेशन आपको इस बीमारी से बचा सकती है।
– सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले टीकाकरण अवश्य करवा लें।