विमानों के परिचालन के 100 साल पूरे
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कोलकाता हवाई अड्डे से विमानों के परिचालन के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाएगा। कोलकाता हवाई अड्डे से साल 1924 में विमानों का संचालन शुरू हुआ था। एएआई कोलकाता हवाई अड्डे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में बताया, ‘‘भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण कोलकाता हवाई अड्डे पर विमानों के परिचालन के 100 साल पूरे होने के अवसर का जश्न मना रहा है। यह एक ऐसा क्षण था जिसने दुनिया को पश्चिम बंगाल से जोड़ा। मूल रूप से दमदम हवाई अड्डे के नाम से जाना जाने वाला यह प्रतिष्ठित हवाई अड्डा श्रेष्ठता का प्रतीक है। जहां इतिहास, संस्कृति और आकाश की ऊंचाई एक स्थान पर आती है।’’ इसमें कहा गया, ‘‘उत्कृष्टता की एक शताब्दी, आनन्द के शहर में विश्व का स्वागत है।’’ नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय (एनएससीबीआई) हवाई अड्डे के सूत्रों के अनुसार, दिसंबर के तीसरे सप्ताह से कार्यक्रमों की शुरुआत होगी और अगले साल मार्च के अंत तक यह जारी रहेगी। सूत्रों ने बताया कि ऐसी संभावना है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समारोह में शामिल होंगे।
एयरपोर्ट डायरेक्टर ने यह कहा
एनएससीबीआई एयरपोर्ट के निदेशक डॉ. प्रवत रंजन बेउरिया ने बताया, ‘‘एएआई के कोलकाता हवाई अड्डे से उड़ानों के संचालन के 100 साल पूरे होने के अवसर पर हमने कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।’’ समारोह में ऐतिहासिक प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, हस्ताक्षर अभियान और चर्चाएं आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना 1900 के दशक के प्रारंभ में कलकत्ता एयरोड्रम के तौर पर की गई थी।
इन उड़ानों को देखने के लिए लग गयी थी एयरपोर्ट पर भीड़
केएलएम ने 1924 में अपने एम्स्टर्डम से बटाविया (जकार्ता) के उड़ान के रास्ते में तत्कालीन कलकत्ता में विमान का निर्धारित ठहराव शुरू किया। उसी साल किसी भी वायुसेना द्वारा किये गए प्रथम विश्व भ्रमण अभियान के तहत रॉयल एयर फोर्स का विमान कलकत्ता में उतरा। अनुसंधान के मुताबिक दो मई 1924 को फ्रांसीसी पायलट डोयसी ने अपना विमान इस हवाई अड्डे पर उतारा था।
अब तक के सफर को दर्शाने के लिए कई कार्यक्रम होंगे आयोजित
21 दिसंबर से कोलकाता एयरपोर्ट अपनी शताब्दी समारोह की शुरुआत करेगा, जिसमें इसके गौरवशाली इतिहास को दर्शाया जाएगा। इस इतिहास में 20वीं सदी के मध्य का दौर भी शामिल है जब 1950 के दशक में कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस कोलकाता को दुनिया से जोड़ती थीं। हालांकि, 1970 और 1980 के दशक में ये एयरलाइंस हट गईं, जिससे शहर वैश्विक विमानन मानचित्र पर अलग-थलग पड़ गया। लेकिन अब एयरपोर्ट ने खुद को फिर से स्थापित कर लिया है और यह दक्षिण-पूर्व एशिया और खाड़ी देशों के लिए एक प्रमुख गेटवे बन गया है। शताब्दी समारोह के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इस समारोह में एयरपोर्ट के इतिहास पर प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, हस्तशिल्प मेले, चैरिटी इवेंट, रक्तदान शिविर और एक मेगा पौधारोपण अभियान शामिल होंगे। उद्घाटन कार्यक्रम में देश के कई प्रमुख नेताओं जो कि मंत्री पद पर है, तथा दिल्ली हेडक्वार्टर्स के कई वरिष्ठ अधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
एक नजर अब तक के सफर पर
एयरपोर्ट की शुरुआत दमदम में रॉयल आर्टिलरी आर्मोरी के पास एक खुले मैदान से हुई थी। फरवरी 1929 में बंगाल के गवर्नर सर स्टेनली जैक्सन ने बंगाल फ्लाइंग क्लब का उद्घाटन किया। रिसर्च के अनुसार, 2 मई 1924 को फ्रांसीसी पायलट लेफ्टिनेंट पिलचेट डॉइस ने अपने डकोटा-3 विमान के साथ यहां लैंडिंग की। तीन दिन बाद पेरिस से टोक्यो जा रही एक उड़ान यहां उतरी, जिसे देखने भारी भीड़ उमड़ी। 16 मई 1924 को इलाहाबाद से आई एक और फ्लाइट ने यहां लैंडिंग की। इसके बाद, 14 नवंबर 1924 को, पहली बार रात के समय लैंडिंग हुई जब एम्स्टर्डम से आई फ्लाइट मशालों की रोशनी के सहारे रनवे पर उतरी।
1940 से 1960 के दशक में बना था प्रमुख ठहराव
1940 से 1960 के दशक में यह एयरपोर्ट यूरोप से एशिया जाने वाली उड़ानों के लिए एक प्रमुख ठहराव बन गया। एयर फ्रांस, जापान एयरलाइंस, फिलीपीन एयरलाइंस, लुफ्थांसा, स्विसएयर, केएलएम, पैन एम जैसी कई प्रमुख एयरलाइंस यहां उड़ान भरती थीं लेकिन 1960 के दशक में लंबे समय तक उड़ने वाले विमानों के आने से कोलकाता का महत्व ठहराव के रूप में कम हो गया। 1995 में एक नया घरेलू टर्मिनल बनाया गया और एयरपोर्ट का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया। 2000 के दशक में लो-कॉस्ट कैरियर के आगमन से घरेलू यात्रियों की संख्या बढ़ी, जिससे 2005 तक टर्मिनल की क्षमता पूरी तरह भर गई। 2007 में एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई, जिसमें एक नए एकीकृत टर्मिनल का निर्माण, रनवे का विस्तार, टैक्सीवे और एप्रन शामिल थे। नया टर्मिनल मार्च 2013 में खोला गया।
एक नजर आंकड़ों पर
वर्तमान में एयरपोर्ट की क्षमता 2.6 करोड़ यात्रियों से बढ़ाकर 2.8 करोड़ की जा रही है। एक नए टर्मिनल के निर्माण से इसे 3.9 करोड़ वार्षिक क्षमता तक बढ़ाया जाएगा। एयरपोर्ट अधिकारी के मुताबिक यह दिन हम सबके लिए बेहद खास है। इसे सेलिब्रेट किया जाएगा।
मुख्य बातें
- प्रारंभिक स्थापना : कलकत्ता-दमदम हवाई अड्डा (अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) 1920 के दशक के प्रारंभ में कलकत्ता एरोड्रोम के रूप में स्थापित हुआ था।
- 1940-1960 का दशक : यह हवाई अड्डा उत्तरी अमेरिका और यूरोप से दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए हवाई मार्ग पर एक महत्वपूर्ण स्टॉपओवर था। यहां एरोफ्लोट, एयर फ्रांस, अलीतालिया, कैथे पैसिफिक, जापान एयरलाइंस, फिलीपींस एयरलाइंस, केएलएम, पैन एएम, लुफ्थांसा, स्विसएयर और एसएएस जैसी एयरलाइंस के उड़ानें थीं।
- 1960 के दशक में गिरावट : लंबी दूरी के विमानों के परिचालन के कारण, एयरलाइंस ने कोलकाता को स्टॉपओवर हब के रूप में इस्तेमाल करना बंद कर दिया, जिससे हवाई अड्डे पर यात्री संख्या में कमी आ गई।
- 1990 का दशक और पुनर्नामकरण : भारतीय उड्डयन उद्योग के विकास के साथ, हवाई अड्डे का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में बदला गया। 1995 में नया घरेलू टर्मिनल बनाया गया। हालांकि, यात्री संख्या में तेजी से वृद्धि के कारण इस टर्मिनल की क्षमता जल्द ही पूरी हो गई।
- आधुनिककरण (2000-2010) : 2007 में एक नया आधुनिककरण योजना तैयार किया गया, जिसके तहत एक नए एकीकृत टर्मिनल भवन, रनवे, टैक्सीवे और एप्रन का विस्तार किया गया। नया टर्मिनल मार्च 2013 में खोला गया।
:- नेहा सिंह