
नई दिल्ली : तपेदिक यानी टीबी अभी भी देश में सबसे घातक बीमारियों में से एक है। यह एयरबोर्न बैक्टीरिया के कारण होती है, जिसके बारे में अभी भी लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो टीबी जानलेवा हो सकती है, लेकिन ये लाइलाज नहीं है। भारत में टीबी को लेकर जागरूकता काफी कम है। अभी भी लोग टीबी के बारे में पूरी तरह से नहीं जानते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग टीबी से अपनी जान भी गंवा देते हैं।
लाइलाज है टीबी
दरअसल दवाओं, जानकारी, एहतियात और आराम करने से टीबी को ठीक किया जा सकता है। जी हां 1950 के दशक से टीबी की दवा उपलब्ध है। अगर ट्रीटमेंट सही और पूरा लिया जाए, तो मरीज आसानी से सामान्य जीवन जी सकता हैं।
गरीबों को होती है टीबी
ज्याोदार लोगों के मन में टीबी को लेकर मिथ है कि यह गांवों में या गरीब लोगों को होती है, लेकिन टीबी, अन्य रोगों की तरह किसी को भी हो सकती हैं। दरअसल गरीबों की जीवनशैली महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में से एक है, लेकिन यह किसी को भी हो सकती है। दरअसल टीबी बैक्टीरिया का संचरण हवा के माध्यम से होता है, इसलिए इसकी चपेट में कोई भी आ सकता है।
टीबी के मरीज संक्रामक
टीबी के सभी रूप संक्रामक नहीं होते हैं। हड्डियों, रीढ़, ब्रेन, ब्लै डर और प्रजनन प्रणाली सहित फेफड़ों के अलावा शरीर के कई हिस्सों में टीबी हो सकती है। जो मरीज फेफड़ों की टीबी से पीड़ित हैं, वे संक्रामक होते हैं, लेकिन कुछ महीने के उपचार के बाद वे भी गैर-संक्रामक हो जाते हैं।
वंशानुगत है टीबी
टीबी का आनुवांशिकी या परिवार से संबंधित नहीं है, यह एयरबोर्न बैक्टीरिया के कारण होता है जो फेफड़ों पर हमला करता है और किसी को भी प्रभावित कर सकता है। माता पिता को टीवी हो तो भी यह बच्चों को होने की संभावना 0 प्रतिशत होती है।
ब्लड टेस्ट से मिलती है जानकारी
आमतौर पर यह माना जाता है कि टीबी का पता ब्ल ड टेस्टह से लगाया जा सकता है, लेकिन टीबी के निदान के लिए ब्लैड टेस्टई विश्वसनीय तरीका नहीं है।
सेक्स करने से नहीं फैलता टीबी
सेक्स का टीबी से कोई लेना-देना नहीं है। टीबी एक एयरबोर्न डिजीज है, जिसका सेक्सक से कुछ लेना-देना नहीं हैं।