चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

कोलकाता : 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न 9 स्वरूपों में से किसी न किसी एक रूप से संबंध रखता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री और दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मा का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ है तपस्या का आचरण करने वाली। इस आर्टिकल में जानते हैं, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि, मंत्र, आरती, भोग और शुभ मुहूर्त।
ऐसा है मां ब्रहृमचारिणी का स्वरूप
‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है-तप का आचरण करने वाली। मां दुर्गा का ये स्वरूप अनंत फल देने वाला है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है मां ब्रहृमचारिणी।  यानि जो तप और आचरण की देवी हैं। मां एक हाथ में जप की माला और दूसरे में कमण्डल सुशोभित हैं। मां की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, सदाचार, त्याग, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।
इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें उसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि करें। मां को भी पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद मां को रोली, चंदन, चावल अर्पित करें। मां की पूजा के लिए आप गुड़हल या फिर कमल के फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद मां को दूध से बनी चीज का भोग लगाएं। उनके आगे घी का दीपक जलकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले या सफेद रंग का विशेष महत्व माना जाता है। पूजा करते समय आप पीले या सफेद वस्त्र पहनकर करें। पूजन में शक्कर, मिश्री या पंचामृत का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है।
मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग
मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने भोजन अति प्रिय होते हैं इसलिए आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं। देवी मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगा सकते हैं। पूजा में उनके पसंदीदा भोग लगाने से आयु में वृद्धि का वरदान मिलता है।
मां को प्रसन्न करने क लिए मंत्र
मां का प्रसन्न करने के लिए आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मां सभी मनोकामनाएं पूरा करेंगी।
1-या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रुपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ऊं देवी ब्रह्मचारिण्यै नम:।
2-मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र-पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें।
या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

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