WHO ने चेताया- सेहत से बढ़कर नौकरी नहीं
कोलकाता : आजकल अधिकतर लोगों की दिनचर्या का ज्यादातर हिस्सा दफ्तर के कामकाज में ही बीत जाता है। इसकी वजह से लोग फिजिकल ऐक्टिविटी और एक्सरसाइज पर भी ध्यान नहीं देते हैं। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर जो आंकड़े दिए हैं, वो काफी डराने वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, 2016 में पाया गया कि कई घंटों तक काम करने के कारण स्ट्रोक और हार्ट डिजीज से 745,000 मौतें हुईं। इनमें 2000 के बाद से 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
ज्यादा घंटे काम करने की वजह से हो रहीं बीमारियां ज्यादातर पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, और मध्यम उम्र वाले या बुजुर्गों में दर्ज की गई। इसके साथ ही 72% मौतें पुरुषों में देखी गई। ज्यादातर मौतें 60 से 79 और 45 से 74 के उम्र के लोगों में दर्ज की गई, जिन्होंने प्रति सप्ताह 55 घंटे या उससे अधिक समय तक काम किया था।
काम की वजह से होने वाली बीमारियों की सबसे बड़ी वजह ज्यादा घंटों तक काम करना ही है जहां एक तरफ दुनिया में काम का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं इन बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए एक मनोवैज्ञानिक सामाजिक, व्यावसायिक जोखिम जैसे कारणों की ओर संकेत कर रहा है। इसका सीधा असर लंबे समय तक काम करने वाले लोगों के दिमाग पर पड़ सकता है।
अध्ययन के अनुसार, सप्ताह में 35-40 घंटे काम करने की तुलना में प्रति सप्ताह 55 या उससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35% से ज्यादा और इस्केमिक हार्ट डिसीज से मरने का खतरा 17% से ज्यादा होता है। इसके अलावा, लंबे समय तक काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। इस तरह की आदतें ज्यादातर लोगों में काम से संबंधित बीमारियों और उम्र से पहले मृत्यु के खतरे को बढ़ाती हैं।