
कोलकाता : भारत में शादियां धूमधाम से होती हैं। इस दौरान कई रस्म और रिवाजों का पालन किया जाता है। हल्दी-मेहंदी से लेकर कन्यादान और न जाने कितनी ही परंपराएं इसमें शामिल होती हैं। शादी में विदाई ऐसा पल होता है, जो हर किसी को भावुक कर देता है। विदाई के दौरान लड़कियां चावल फेंकने की रस्म निभाती हैं। लेकिन इस रस्म की क्या है अहमियत और इसे क्यों किया जाता है, आइए आपको बताते हैं।
डोली में बैठने से पहले दुल्हन यह रस्म करती है। इसमें बिना पीछे देखे दुल्हन को पांच बार चावल फेंकने होते हैं।
चावल का इस रस्म में उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसको पैसों का प्रतीक माना जाता है। हिंदू मान्यताओं में चावल का इस्तेमाल सभी धार्मिक कार्यों में होता है।
परंपराओं के मुताबिक, चावल फेंकने की रस्म को प्रार्थना का प्रतीक माना जाता है। इसका मतलब है कि भले ही लड़की का विवाह हो गया है लेकिन फिर भी वह अपने घरवालों के लिए प्रार्थना करती रहेगी।
हिंदू धर्म में भी चावल को पवित्र और शुभ माना गया है। मायके वालों को बुरी नजर से बचाने के लिए दुल्हन यह रस्म करती है।
कई शादी-समारोह में विदाई के समय आपने भी दुल्हन को चावल पीछे फेंकते देखा होगा। इस दौरान वह अपनी फैमिली के लिए सुख-समृद्धि की दुआ मांगती है।
इस रस्म का एक मतलब यह भी है कि दुल्हन अपने माता-पिता का धन्यवाद करती है। वह इसलिए क्योंकि माता-पिता ही हैं, जो अपनी औलाद के लिए सबकुछ करते हैं।
चावल खाने में भी इस्तेमाल होता है। लिहाजा मायके में कभी अन्न की कमी न हो इसलिए दुल्हन चावल अपने परिवारवालों पर फेंकती है।