
सर्दियों के साथ हवा में फैल रहे प्रदूषण ने इन्फ्लूएंजा के अटैक के लिए माकूल माहौल बना दिया है। यह उन लोगों के लिए खासतौर से खतरनाक है, जो अस्थमा और सांस लेने की समस्या से संबंधित फेफड़ों की पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। सर्दियों के इस मौसम में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण खांसी और सांस लेने की समस्या से संबंधित बीमारी काफी बढ़ गई है। इस स्थिति ने मौसमी इंफ्लूएंजा के प्रति हमारी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। चूंकि ठंडी हवा में पानी और आर्द्रता कम होती है। इस कारण से इंफ्लूएंजा वायरस फैलने की रफ्तार अनिवार्य रूप से बढ़ती है। अभी कोरोना का प्रकोप भी खत्म नहीं हुआ है इसलिए मौसमी इंफ्यूएंजा से अपने को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी हो गया है।
कोलकाता में इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के प्रोफेसर और आईएपी इन्फेक्शियस डिजिज चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. जयदीप चौधरी ने कहा, “3 से 5 वर्ष के ऐज ग्रुप के बच्चों में इंफ्लूएंजा के मामलों में निश्चित रूप से काफी बढ़ोतरी हुई है। इसलिए खासतौर से इन सर्दियों के मौसम में इंफ्लूएंजा वैक्सीन की सिफारिश करना सबसे पहली और जरूरी कार्रवाई है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में इस वायरस से कई गंभीर परेशानियां जन्म ले सकती हैं और कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकती हैं। बुजर्गों में संक्रमण के कई हफ्तों बाद दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। डॉ. जयदीप चौधरी ने कहा, “सर्दियों के मौसम में अपने को स्वस्थ और फिट रखने में खासतौर से उन लोगों को काफी चुनौती झेलनी पड़ सकती है, जिन्हें पहले से ही कोई एलर्जी है और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।