
नई दिल्ली : जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों के नागरिकता संशाेधन बिल पर विरोध देखने काे मिला और रविवार देर रात प्रदर्शनकारियों ने 4 बसों समेत 8 वाहन फूंके। जानकारी के मुताबिक पुलिस के बल प्रयाेग में करीब 100 से ज्यादा छात्र गंभीर रुप से घायल हुए हैं। बताया जा रहा कि 52 छात्रों को हिरासत में लिया गया था जिसके, खिलाफ जामिया और जेएनयू के स्टूटेंड्स ने पुलिस के हेडक्वार्टर को घेरा। हालांकि, पुलिस ने सोमवार सुबह तक सारे छात्रों को छोड़ दिया है और विश्वविद्यालय के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। वहीं दूसरी ओर जामिया में हुए हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने अपने बयान में कहा कि पुलिस बिना इजाजत के ही कैंपस में घुस गयी। उन्होंने पुलिस की बर्बरता पर प्रश्न करते हुए कहा कि पुलिस ने पुस्तकालय में बैठे शांतिपूर्ण छात्र एवं छात्राओं पर लाठीचार्ज किया।
उच्च स्तरीय की मांग
जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एपी सिद्दीकी का कहना है कि पुलिस ने कैंपस के अंदर गोली चलाई। अख्तर ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि हम अपने विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस के घुसने के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेंगे। संपत्ति को तो दोबारा बनाया जा सकता हैं लेकिन जो छात्रों ने बर्दाशत किया उनकी क्षतिपूर्ति कैसे करेंगे। वीसी ने कहा कि कुछ जगह अफवाहें थी कि हमारे दाे छात्रों की माैत हुई है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हैं और हमारे किसी भी छात्र की मौत नहीं हुई हैं। करीब 200 घायल हुए जो हैं जिसमें अधिकतर छात्र जामिया के हैं।
जामिया सबसे शांत विश्वविद्यालयों में से एक
नजमा अख्तर ने कहा कि जामिया सबसे शांत विश्वविद्याालयों में से एक है और बहुत सारी संपत्ति का नुकसान हुआ है। हम इनकी भरपाई कैसे करेंगे? उन्होंने कल की दुर्घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हमें और हमारे छात्रों को भावनात्मक क्षति भी पहूंची हैं। मेरी आपसे विनती है कि आप अफवाहों पर ध्यान न दें। पुलिस पर बिना अनुमति घुसने के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।