कोलकाताः घर का सबसे पवित्र स्थान वही होता है जहां पर पूजा घर होता है। कहा जाता है जहां पर घर में मंदिर बना होता है वहीं पर भगवान का वास होता है। इसी वजह से इस स्थान को घर की सभी जगहों से सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसे में घर में स्थित पूजा घर को लेकर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जानें वास्तु के अनुसार घर में पूजा स्थल किस जगह पर होना चाहिए। साथ ही जगह का चुनाव करते वक्त किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर पूर्व में पूजा घर होना सबसे अच्छा
वास्तु के अनुसार घर के ईशान कोण में मंदिर होना चाहिए। इस स्थान को पूजा के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है। उत्तर पूर्व दिशा में पूजा घर का होना उत्तम बताए जाने का भी एक कारण है। जब वास्तु को धरती पर लाया गया तब उनका शीर्ष उत्तर पूर्व दिशा में था। इसी वजह से इस दिशा को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
भूलकर भी इस जगह ना बनाएं मंदिर
वास्तु के अनुसार घर में मंदिर कभी भी शयनकक्ष या फिर बेडरूम में नहीं बनाना चाहिए। अगर घर में जगह ना हो और किसी वजह से आपको बेडरूम में मंदिर बनाना पड़े तो मंदिर पर पर्दा जरूर रखें। जब आप सोने जाएं तो मंदिर पर पर्दा जरूर कर दें।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
- घर में कुलदेवता का चित्र होना बहुत जरूरी होता है। इससे पूर्व या उत्तर दिशा पर ही लगाएं।
- पूजा घर का दरवाजा टिन या फिल लोहे की ग्रिल का नहीं होना चाहिए।
- दुर्गा मां की स्थापना मंदिर में करवाना चाहते हैं तो आश्विन माह में ही करवाएं। घर में स्थित पूजा घर में 7 से 9 इंच से बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, तीन देवी प्रतिमा और दो शालिग्राम नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से गृहस्वामी को अंशाति मिलती है।
- पूजा घर सफेद या फिर हल्के क्रीम कलर का रंग होना चाहिए। पूजा घर के द्वार पर दहलीज बनवानी चाहिए। पूजा के दौरान मूर्ति के आमने सामने नहीं बल्कि दाएं कोण में बैठना चाहिए। पूजा घर के आसपास साफ सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
Visited 134 times, 1 visit(s) today