पांच बिंदुओं में समझें यूपी में योगी क्यों उपयोगी, वादों में भारी अखिलेश कहां चूके?

नई दिल्ली : चंद घंटों में उत्तर प्रदेश की पूरी सियासी तस्वीर साफ हो जाएगी। पता चल जाएगा कि अगले पांच साल सूबे की कमान किसके हाथ में होगी। लेकिन इसके पहले जो रुझान सामने आ रहे हैं उससे एक बात साफ है कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ यूपी में सरकार बना सकती है। एग्जिट पोल के अनुमान काफी हद तक सही होते नजर आ रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर तमाम विपरीत चुनौतियों के बावजूद योगी आदित्यनाथ कैसे अखिलेश यादव पर भारी पड़ गए? पांच बिंदुओं में समझें पूरा समीकरण...
पहले जान लीजिए पिछले छह महीने में कैसे बदले समीकरण
उत्तर प्रदेश में छह महीने पहले एकतरफा मुकाबला था। मतलब सियासी गलियारे में ये चर्चा थी कि योगी आदित्यनाथ फिर से चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन देखते ही देखते पूरा खेल बदल गया। चुनाव नजदीक आते ही भाजपा के खिलाफ माहौल बन बया। एक के बाद एक योगी के तीन मंत्रियों समेत 11 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। सभी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। यहीं से समाजवादी पार्टी ने अपने पक्ष में माहौल बना लिया। यहां तक कहा जाने लगा था कि इस बार भाजपा चुनाव हार सकती है।
आखिर क्यों अखिलेश पर भारी पड़ गए योगी?
1. कानून व्यवस्था : सस्ती बिजली, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा, शिक्षामित्रों को फिर से सहायक अध्यापक बनाने और पुरानी पेंशन लागू करने जैसे बड़े चुनावी घोषणाएं भी योगी सरकार की कानून व्यवस्था के आगे फेल हो गए। योगी आदित्यनाथ लोगों को यह समझाने में कामयाब हुए कि कानून व्यवस्था बेहतर रही तो प्रदेश का विकास तेजी से होगा। यही नहीं, चुनावी दौर में सपा नेताओं के आए विवादित वीडियो भी अखिलेश के खिलाफ चले गए। अखिलेश ने जितना माहौल बनाया था, वो सब पीछे हो गए। महिलाओं ने अखिलेश के किसी भी वादे की बजाय योगी के कानून व्यवस्था पर भरोसा जताया।
2. महिलाओं का मिला पूरा समर्थन : पिछले कुछ चुनावों में भाजपा की सबसे बड़ी ताकत महिलाएं बनकर उभरी हैं। पीएम आवास योजना से लेकर उज्जवला गैस योजना और बिजली योजना तक सब ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया। महिलाओं ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी योगी आदित्यनाथ का साथ दिया।
3. मुफ्त राशन बांटना काम आया: कोरोनाकाल में तीन साल से भाजपा की सरकार हर गरीब तक मुफ्त राशन पहुंचा रही थी। गांव-गांव में लोगों ने इसकी तारीफ की। पीएम मोदी और सीएम योगी अपनी रैलियों में भी इसका जिक्र हमेशा करते थे। इसका फायदा भी भाजपा को मिला।
4. किसान सम्मान निधि और आवास योजनाएं : पीएम किसान सम्मान योजना के तहत हर साल छोटे किसानों को छह हजार रुपये दिए जाते हैं। ये रकम सीधे किसानों के खाते में जाती है। गांव-गांव में किसान इसकी तारीफ भी करते हैं। इसके अलावा आवास योजना और शौचालय के लिए भी गरीब व मध्य वर्ग के लोगों को अच्छी खासी रकम दी जाती है। खुले मंच से लोग इसकी तारीफ करते हैं। चुनाव में भाजपा के लिए ये योजनाएं काफी मददगार साबित हुईं।
5. दलित वोटर्स का भाजपा में आना : समाजवादी पार्टी ने काफी कोशिशें कीं, लेकिन दलित वोटर्स का भरोसा नहीं जुटा पाई। ऐसा इसलिए क्योंकि जब सपा की सरकार थी, तब सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार के मामले सामने आए थे। इसलिए बसपा के बाद दलित वोटर्स का अगर किसी पार्टी पर भरोसा बन पाया है तो वह भाजपा है।

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