
नयी दिल्ली : भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर तुर्की और मलेशिया के बयान की कड़ी निंदा की है। भारत ने आंतरिक मुद्दे से जुड़े इन दोनों देशों के बयानों को तथ्य से परे बताते हुए मित्रतापूर्ण संबंधों को याद दिलाया और कहा कि उन्हें ऐसें बयानों से बचना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर को लेकर हाल का भारत का निर्णय पूरी तरह से आंतरिक मामला है।’’उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस विषय पर कई बार तथ्य रख चुके हैं। तथ्य यह है कि जम्मू कश्मीर ने भारत के साथ विलय के प्रपत्र पर हस्ताक्षर किया था। पाकिस्तान ने उस पर हमला किया और जम्मू कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया। इसे संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी माना है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में हाल का घटनाक्रम भारत का आंतरिक मामला है।
तुर्की का बयान दुर्भावना से प्रेरित
तुर्की को मित्रतापूर्ण देश बताते हुए कुमार ने कहा कि छह अगस्त के बाद से तुर्की सरकार और उसके विदेश मंत्रालय की ओर से जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं, ‘‘उसकी हम निंदा करते हैं।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ तुर्की का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, दुर्भावना से प्रेरित है। हम चाहते हैं कि तुर्की की सरकार वस्तुस्थिति के बारे में उपयुक्त समझ बनाने के बाद ही आगे कोई बयान दें। ’’
मलेशिया के बयान की निंदा करते हैं
रवीश कुमार ने कहा कि जहां तक मलेशिया का सवाल है, उस देश के साथ भी भारत के मित्रतापूर्ण संबंध रहे हैं और हाल के वर्षो में ये और बेहतर हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मलेशिया के बयान (मलेशिया के प्रधानमंत्री का) से हमें भी आर्श्चय हुआ है और हम इसकी निंदा करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मलेशिया के प्रधानमंत्री का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं था।’’
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने आरोप लगाया था कि भारत ने जम्मू कश्मीर पर हमला बोला और कब्जा किया। उन्होंने नयी दिल्ली से पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने को कहा। साथ ही तुर्की ने भी कश्मीर की स्थिति पर भारत की आलोचना की थी।