
कोलकाताः आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में हमारे पास आराम करने का बिलकुल भी समय नहीं है। ऐसे में भीषण दर्द की वजह से हमें बैठना पड़े तो उस से बड़ी मुसीबत कोई नहीं लगती है। कोई भी दर्द से लड़ने के लिए न तो अपनी एनर्जी लगाना चाहता है और न ही समय। इसलिए पेनकिलर टैबलेट खाना बहुत आसान विकल्प लगता है। बाजार में हर तरह के दर्द जैसे बदनदर्द, सिरदर्द, पेटदर्द आदि के लिए कई तरह के पेनकिलर मौजूद हैं।
अलग-अलग तरह के पेनकिलर शरीर के विभिन्न दर्दों के लिए काम करते हैं और वह भी इतने बेहतर ढंग से कि कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो जाता है और व्यक्ति फिर से काम करने को तैयार हो जाता है। शरीर में हलका सा दर्द होते ही हम एक पेनकिलर मुंह में डाल लेते हैं। इससे होता यह है कि शरीर की दर्द से लड़ने की क्षमता घट जाती है और हम शरीर को दर्द से स्वयं लड़ने देने के बजाय उसे यह काम करने के लिए पेनकिलर्स का मुहताज बना देते हैं। काम को सरल बनाने के लिए तरीकों का इस्तेमाल करना मानव प्रवृत्ति है और ईजी पेनकिलर एडिक्शन उसी प्रवृत्ति का परिणाम है।
क्या है पेनकिलर एडिक्शन
पेनकिलर ऐसी दवाइयां हैं जिन का इस्तेमाल मैडिकल कंडीशंस जैसे माइग्रेन, आर्थ्राइटिस, पीठदर्द, कमरदर्द, कंधे में दर्द आदि से अस्थायी तौर पर छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। पेनकिलर बनाने में मार्फिन जैसे नारकोटिक्स, नौनस्टेरौइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और एसेटेमिनोफेन जैसे नौननारकोटिक्स कैमिकल का इस्तेमाल होता है। पेनकिलर एडिक्शन तब होता है जब जिसे ये पेनकिलर दिए गए हों और वह शारीरिक तौर पर उन का आदी हो जाए।
इस एडिक्शन के कितने बुरे प्रभाव हो सकते हैं, यह बात हमारे दिमाग में जब चाहे मुंह में पेनकिलर टैबलेट्स डालते हुए आती ही नहीं है। अन्य एडिक्शन की तरह इस के भी साइड इफैक्ट्स समान ही होते हैं। कई बार दर्द न होने पर भी इस के एडिक्ट पेनकिलर खाने लगते हैं। इन्हें खाने वालों को तो लंबे समय तक पता ही नहीं चलता है कि वे इस के शिकार हो गए हैं। उन का मनोवैज्ञानिक स्तर अस्तव्यस्त हो जाता है। इस एडिक्शन से बाहर आने के लिए उन्हें चिकित्सीय मदद लेनी पड़ती है।
साइड इफैक्ट्स
पेनकिलर्स में सेडेटिव इफैक्ट्स होते हैं जिस की वजह से हमेशा नींद आने का एहसास बना रहता है। पेनकिलर लेने वालों में कब्ज की शिकायत अकसर देखी गई है। पेट में दर्द, चक्कर आना, डायरिया और उलटी इन्हें लेने वालों में आम देखी जाती है। इस के अतिरिक्त भारीपन महसूस होने के कारण सिरदर्द और पेट में दर्द रहने लगता है। मूड स्विंग्स और थकावट इन में आम बात हो जाती है। साथ ही, कार्डियोवैस्कुलर और रैस्पिरेट्री गतिविधियों पर भी असर होता है, हार्टबीट व ब्लडप्रैशर में तेजी से उतारचढ़ाव तक ऐसे मरीजों में देखा गया है। पेनकिलर एडिक्शन लिवर पर भी असर डालता है और इन का अधिक मात्रा में सेवन करने से जोखिम और बढ़ जाता है।
मिचली आना, उलटी होना, नींद आना, मुंह सूखना, आंखों की पुतली का सिकुड़ जाना, रक्तचाप का अचानक कम हो जाना, कौंसटिपेशन होना दर्दनिवारक दवाइयों के सेवन से होने वाले कुछ आम साइड इफैक्ट्स हैं। इसके अलावा खुजली होना, हाइपोथर्मिया, मांसपेशियों में तनाव जैसे साइड इफैक्ट्स भी पेनकिलर के सेवन से होते हैं।