कोलकाताः पितृ पक्ष का हिंदुओं में विशेष महत्व है। इस पखवाड़े के पीछे ऐसी मान्यता है कि इस दौरान हमारे मृतक पूर्वज धरती पर आते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इस वर्ष 12 वर्ष बाद पितृपक्ष में 16 दिन हैं, लेकिन 17 सितंबर की तारीख को श्राद्ध की तिथि नहीं है। पितृ पक्ष में मातृ नवमी का विशेष महत्व है। जिनकी मां, बहन या पत्नी का इस दिन निधन हो गया है, उन्हें उनके लिए इस दिन श्राद्ध करना पड़ता है। आइए जानते हैं इस साल मातृ नवमी कब है और श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है-
मातृ नवमी श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 18 सितंबर 2022 को शाम 04:32 बजे से 19 सितंबर 2022 को शाम 07:01 बजे तक रहेगी। इस दिन पितरों का किए जाने वाले श्राद्ध के लिए सबसे उत्तम तिथि मानी जा रही है। 19 सितंबर को सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 तक रहेगा। इस समय 19 सितंबर को मातृ नवमी का श्राद्ध करने का प्रयास करें।
ऐसे करना चाहिए माता का श्राद्ध
मातृ नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके बाद कुतुप बेला में स्वच्छ वस्त्र पहनकर विधि अनुसार पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। इसके लिए किसी सफेद चौकी या टेबल पर दिवंगत पूर्वजों की तस्वीर लगानी चाहिए और अगर उनका कोई चित्र नहीं है तो वहां सुपारी रखनी चाहिए। उस सुपारी पर फूल, तुलसी और गंगा जल चढ़ाएं।
उनकी फोटो के आगे तिल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। पूजा के बाद हो सके तो गरुड़ पुराण के नौवें अध्याय गजेंद्र मोक्ष या भगवत गीता का पाठ करें। इसके बाद श्राद्ध का भोजन दक्षिण दिशा में रखें। ब्राह्मण को भोजन कराएं और इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान करें। इस दिन तांबे के बर्तन में जल और काले तिल मिलाकर पितरों को तर्पण करना न भूलें।
मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष में पड़ने वाली मातृ नवमी का विशेष महत्व है, चूंकि इस दिन परिवार से जुड़ी मृत महिलाओं का श्राद्ध किया है; जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई होती है। इस दिन दादी, मां, बहन, बेटी आदि का विशेष श्राद्ध किया जाता है। जिसे अविधवा श्राद्ध भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन परिवार की महिलाओं को विधि-विधान से श्राद्ध करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पिता प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं।