
कोलकाताः इस बार 4 दिसंबर, शनिवार को अगहन मास की अमावस्या है। शनिवार को अमावस्या होने से इसे शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। इस अमावस्या पर भगवान विष्णु, शिवजी, शनिदेव और हनुमानजी की पूजा खासतौर से की जाएगी। इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी होगा, लेकिन भारत में नहीं दिखने से न तो इसका सूतक लगेगा और न ही कोई धार्मिक महत्व रहेगा। इस दिन कुछ विशेष काम करने से सभी देवी-देवताओं की कृपा पाई जा सकती है। शनिवार को ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन वृश्चिक राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और केतु रहेंगे। ग्रहों की इस युति में किया गया स्नान और दान कई गुना शुभ फल देने वाला रहेगा। साथ ही इस दिन साल की आखिरी शनैश्चरी अमावस्या भी रहेगी। ये मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या होने से स्नान-दान के लिए खास रहेगी। इसके बाद अगले साल यानी 30 अप्रैल 2022 को शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा।
अनुराधा नक्षत्र से स्नान-दान का महत्व बढ़ा
शनिश्चरी अमावस्या ऐसी तिथि है जिसमें देव आराधना के जरिए सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। 4 दिसंबर को शनि प्रधान अनुराधा नक्षत्र भी है जो कि अमावस्या पर स्नान-दान व देव दर्शन के महत्व को दोगुना कर देता है। इसके अलावा सुकर्मा व अमृत योग का भी संयोग बन रहा है। इस दिन शनि, शिवजी और हनुमान जी की पूजा करें तो कर्ज से मुक्ति, सेहत लाभ और न्याय के क्षेत्र में विजय मिल सकती है।
ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं
इस दिन स्नान-दान व देव दर्शन का विशेष महत्व है। इसी दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है जिसके चलते लोग पसोपेश में है कि इस दिन मंदिरों में पूजा-दर्शन और अन्य शुभ काम किए जा सकेंगे कि नहीं। लेकिन ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं होने से इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। इस सूर्य ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। इसलिए मठ-मंदिरों के पट आम दिनों की तरह ही खुले रहेंगे। भक्तों के स्नान-दान या देव दर्शन में किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी।