नई दिल्ली : अर्थशास्त्र विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफलो एवं माइकल क्रेमर को नोबेल पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार इन तीनों को वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए अपनी प्रयोगात्मक दृष्टिकोण देने के लिए दिया गया है। बता दें कि कोलकाता में जन्मे अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1981 में बीएससी की उपाधि ग्रहण की थी। वर्तमान में वह अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं तथा मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं।
कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं बनर्जी
बनर्जी अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब में एस्टर डुफलो और सेंधिल मुल्लईनाथन के साथ सह संस्थापक हैं। इतना ही नहीं ये इनोवेशन ऑफ पॉवर्टी एक्शन और कंसोर्टियम फॉर फाइनेंशियल सिस्टम्स एंड पॉवर्टी के सदस्य भी हैं। मालूम हो कि अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1981 में बीएससी की उपाधि ग्रहण करने के बाद, 1983 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स से एमए किया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1988 में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी भी की।
पिछले साल स्थगित रहा नोबल पुरस्कार
बता दें कि साल 2018 और 2019 के लिए साहित्य के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार की घोषणा बीते गुरुवार को की गई थी। पोलिश लेखिका ओल्गा टोकार्कजुक को साल 2018 के लिए साहित्य नोबल पुरस्कार से नवाजा गया। जबकि, साल 2019 के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार के लिए ऑस्ट्रियाई लेखक पीटर हैंडके को चुना गया है। पिछले साल विवादों के कारण इसे स्थगित किया गया था। नोबल पुरस्कार काफी प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित अवॉर्ड है। हर साल स्वीडिश एकेडमी की तरफ से 16 अवॉर्ड्स दिए जाते हैं।