
कैमोमाइल के पौधे में एंटी एंजाइटी गुण होते हैं। औषधि के रूप में ये बेहद असरदार है। आमतौर पर लोग इसे टी फ्लेवर के रूप में जानते हैं। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसे तरल पदार्थ, कैप्सूल या फिर टैबलेट के रूप में ले सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, एंजाइटी डिसऑर्डर में ये फायदेमंद होता है। इस बात का ध्यान रखें कि कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी हो सकती है।
टी–ट्री ऑयल
औषधीय गुणों से भरपूर टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स में किया जाता है। ये मुहांसे पैदा करने वाले माइक्रोब्स के विकास को धीमा करने में सक्षम है। एसेंसिशल ऑयल के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल खाने या पीने के लिए नहीं किया जाता है। ये जहर के समान हो सकता है।
हल्दी
दांतों से जुड़ी समस्या में लैवेंडर बहुत असरदार साबित होता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में छपी एक रिसर्च के अनुसार, लैवेंडर मूड को बहुत प्रभावित करता है। लैवेंडर में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इसलिए इसका इस्तेमाल अरोमाथैरेपी में भी किया जाता है। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखें कि इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसे लगाने पर त्वचा में हल्की जलन महसूस हो सकती है।
अंगूर के बीज का अर्क
अंगूर के बीज के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं और ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। पैरों की नसों में खराब ब्लड सकुर्लेशन को ठीक करने में भी ये कारगर है। एक स्टडी के मुताबिक, अंगूर के बीज के अर्क के सेवन से कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। हालांकि यह शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकता है। अगर आप खून पतला करने वाली दवाएं लेते हैं, तो सावधान रहें।