मंगलसूत्र पहनने से होते हैं ये लाभ

कोलकाता : मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं। महिलाएं इसे अपने से अलग तभी करती हैं जब पति इस दुनिया में न हो या दोनों के बीच संबंध समाप्त हो जाए। मंगलसूत्र धारण करने का यह नियम परंपरागत तौर पर सदियों से चला आ रहा है। इसके पीछे मंगलसूत्र में मौजूद चमत्मकारी गुण का होना है।
बुरी नजर से बचाता है मंगलसूत्र
विवाह के समय दुल्हन पर सबकी नजर टिकी होती है। इससे दुल्हन को नज़र लगने का भय रहता है। मंगलसूत्र में पिरोए गये काले मोती से काल यानी अशुभ शक्तियां दूर रहती है। मंगलसूत्र बुरी नज़र से रक्षा करता है इस मान्यता के कारण विवाह के समय दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाया जाता है। मंगल सूत्र के विषय में यह भी मान्यता है कि इससे पति पर आने वाली विपत्तियां दूर होती है।
पति के प्रति प्रेम का चिह्न
मंगलसूत्र में सोने का पेंडेंट लगा होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्वर्ण धारण करने से शरीर शुद्ध होता है। स्नान के समय सोने का स्पर्श करके जो पानी शरीर पर गिरता है उससे पापों से मुक्ति मिलती है। मंगलसूत्र में मोर का चिन्ह बना होता है जो पति के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। पेंडेंट पर कुछ अन्य चिह्न भी बने होते हैं जो बुरी नज़रों से बचाने वाले माने जाते हैं।
निष्ठा बढ़ाता है मंगलसूत्र
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है। गुरू ग्रह को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का कारक माना जाता है। यह धर्म का कारक भी है। काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है। गुरू और शनि के बीच सम संबंध होने के कारण मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन में सुख एवं स्थायित्व लाने वाला माना जाता है।

 

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