कोलकाताः कोरोना वायरस महामारी और मंकीपॉक्स जैसी खतरनाक बीमारियों का कहर झेल रहे भारत में एक और गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ता दिख रहा है। हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स का सबसे पहला केस मिला। अब खबर है कि राज्य में टोमैटो फीवर या टोमेटो फ्लू के 80 मामले सामने आए हैं, जिससे भारत में कुल मामलों की संख्या 100 हो गई है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा कि प्रकोप को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं जबकि विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि लापरवाही न बरतें और इससे बचने के लिए अभी जरूरी कदम उठाए जाएं। चलिए जानते हैं टोमैटो फीवर क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
टोमैटो फीवर या टोमैटो फ्लू क्या है?
टोमैटो फीवर या टोमैटो फ्लू को हेड, हैंड, फुट, माउथ (एचएफएमडी) की बीमारी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ वायरल बीमारी है, जिसमें पूरे शरीर पर दाने और छाले हो जाते हैं। इसका टमाटर खाने से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि आकार और रंग के मामले में टमाटर के चकत्ते की समानता के कारण इसका नाम पड़ा है।
किन्हें है ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि टोमैटो बुखार एक ऐसी स्थिति है जो मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। टोमैटो बुखार की उत्पत्ति वर्तमान में स्पष्ट नहीं है। हालांकि, इसे एक दुर्लभ वायरल बीमारी माना जाता है। हालांकि यह बीमारी जानलेवा या घातक नहीं है, लेकिन इसे अत्यधिक संक्रामक कहा जाता है।
टोमैटो फीवर के संकेत
टोमैटो फीवर के कुछ सामान्य लक्षणों में लाल छाले, चकत्ते, त्वचा में जलन और डिहाइड्रेशन होना शामिल हैं। इसके अलावा, तेज बुखार, शरीर में दर्द, जोड़ों में सूजन, थकान, पेट में ऐंठन, दस्त और उल्टी का अनुभव हो सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार खांसी और सर्दी का अनुभव भी हो सकता है।
क्या यह कोरोना या मंकीपॉक्स से संबंधित है?
टोमैटो फ्लू के ज्यादातर मामले बच्चों में सामने आए हैं, इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हालांकि यह बीमारी कोरोना या मंकीपॉक्स जितनी अधिक है या उससे ज्यादा खतरनाक है, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञ इसे हल्के में लेने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं। अब तक, इस बीमारी से किसी की मौत की रिपोर्ट नहीं मिली है।
यह बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक चिकनगुनिया की तरह ही टोमैटो बुखार से भी बच्चों की त्वचा पर लाल, खुजलीदार रैशेज या छाले हो जाते हैं। परिजनों को कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए जैसे कि आपके बच्चे को सख्त निगरानी में रखना और उन्हें अन्य बच्चों या व्यक्तियों से अलग करना। प्रभावित हिस्से को खरोंचने या छूने से बचना चाहिए।