राम-सीता जैसी होगी जोड़ी अगर नवंबर महीने के इस दिन है आपका विवाह

कोलकाता : मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस दिन प्रभु राम नें मिथिला में आयोजित सीता स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को उठाकर उसपर प्रत्यंचा चढ़ाई थी और स्वयंवर जीत लिया था। इसके बाद राम-सिया का विवाह हुआ था। मान्यता है कि जिस किसी की शादी में बाधा आ रही है, यदि वह विवाह पंचमी की विधि विधान से पूजा करते हैं तो उनकी सारी बाधाएं दूर होती हैं। इस साल विवाह पंचमी 28 नवंबर 2022, सोमवार को पड़ रही है। विवाह के लिए ये दिन बेहद शुभ माना गया है। आइए जानें इस पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व…
पूजा मुहूर्त और तिथि
हिंदू पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी इस साल 27 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी जो 28 नवंबर दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं उदया तिथि के अनुसार विवाह पंचमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी।
विवाह पंचमी का महत्व क्या है
धार्मिक तौर पर विवाह पंचमी का दिन बहुत शुभ माना जाता है। खासकर के उन लोगों के लिए जो इस दिन विवाह कर रहे हैं। इसके अलावा, जिनके विवाह में किसी तरह की अड़चनें आ रही हों, वह यदि विवाह पंचमी की पूजा करती है तो विवाह से संबंधित सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। मान्यता है कि ये पूजा करने से आपको मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और आप का वैवाहिक जीवन खुशहाल भरा रहता है। इस दिन संभव हो तो पूजा करने वाले व्यक्ति को व्रत रखना चाहिए।
पूजन विधि
सबसे पहले प्रात: काल उठकर प्रभु राम और माता सीता का मन में ध्यान करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद एक पाटा लें और उस पर पीला या लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और उसपर राम-सिया की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा के वक्त माता सीता को लाल रंग और श्री राम को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। इसके बाद उनके सामने दीप जलाएं और उन्हें रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें। पूजा के बाद आरती करें और उनके भोग लगाएं।

 

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