नई दिल्ली : सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद राहुल गांधी ने सरकार को घेरने की कोशिश की, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी पलटवार किया और उन्हें ‘बेगानी शादी का अब्दुल्ला’ करार दिया। साथ ही भाजपा ने शीर्ष न्यायालय के इस फैसले का सोमवार को स्वागत किया। दरअसल, राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि सरकार ने शीर्ष न्यायालय में यह दलील देकर हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमान मुख्यालय में नियुक्ति पाने या स्थायी सेवा की हकदार नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं। इसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और राहुल गांधी पर तीखा पलटवार किया।
ईरानी ने ट्वीट कर राहुल को घेरा
ईरानी ने करते हुए ट्वीट किया और कहा, श्री आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने, यह पीएम नरेंद्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग की घोषणा की थी, जिससे लैंगिक न्याय सुनिश्चित हुआ और जब आपकी सरकार थी, तब भाजपा महिला मोर्चा ने इस मुद्दे को उठाया था। साथ ही उन्होंने राहुल से यह भी कहा कि ट्वीट करने से पहले अपने टीम से बोलिए कि वे चेक करें।
मीनाक्षी लेखी ने भी राहुल पर साधा निशाना
ईरानी के अलावा र्शीर्ष अदालत में महिला सैन्य अधिकारियों की पैरवी करने वाली भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने भी कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि राहुल गांधी कृपया ‘रिफ्रेश मेमोरी बटन’ क्लिक कीजिए। यह कांग्रेस थी जिसने 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सेना में महिलाओं को स्थानीय कमीशन देने के खिलाफ जोर-शोर से तर्क दिया था।’ साथ ही उन्होंने कहा कि यह आपकी सरकार थी जिसने उच्चतम न्यायालय में फैसले को चुनौती दी जहां महिलाओं के पक्ष में फैसला आया।
लेखी ने राहुल पर लगाया ये आरोप
लेखी ने राहुल पर सरकार के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि यदि राहुल को इन तथ्यों का पता होता कि कांग्रेस की क्रमिक सरकारों ने महिलाओं को सेना में स्थानीय कमीशन देने के खिलाफ अदालतों में शपथपत्र दायर किए थे तो उन्होंने ऐसी टिप्पणियां न की होतीं।