
मुंबई : विधानसभा के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दोनों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था पर अब महाराष्ट्र में सत्ता पाने के लिए पेच फंसता नजर आ रहा है। शिवसेना किंगमेकर की भूमिका में आ चुकी है। उसने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सत्ता के समान बंटवारे के साथ ही शिवसेना ने पहले ढाई साल के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव बीजेपी के सामने रखा है। उनके अनुसार गठबंधन सरकार बनने के लिए 50-50 फार्मूले का ही उपयोग किया जाएगा। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा है कि जब तक गृह मंत्री अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस लिखित रुप में आश्वासन नहीं देंगे तब तक महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनेगी।
कार्टून किया गया ट्वीट
वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न ‘बाघ’ को एनसीपी का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ पहने और बीजेपी के चुनाव चिह्न ‘कमल’ को सूंघता हुआ एक कार्टून ट्विटर पर पोस्ट किया। इस कार्टून का यह राजनीतिक अर्थ निकाला जा रहा है कि शिवसेना बीजेपी को संकेत देना चाहती है कि वह बदली परिस्थितियों में राकांपा के साथ भी जा सकती है।
कांग्रेस भी आ सकती है शिवसेना के साथ
शिवसेना के बैठक के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच तकरार बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। शिवसेना के प्रस्ताव से भाजपा के नेताओं के बीच हलचल मची हुई है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस शिवसेना का समर्थन पाने के लिए अपना रास्ता बना रही है। पर कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने इस बात से इनकार करते हुए कहा है कि हमारी शिवसेना से इस बारे में कोई बात नहीं हुई है। अगर इस विषय पर किसी भी तरह की बातचीत हुई होती,तो हम अपने पार्टी के समक्ष यह प्रस्ताव जरुर रखते। साथ ही कांग्रेस के सहयाेगी एनसीपी ने भी विपक्ष में रह कर ही काम करने की इच्छा जताई है। एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने तो यहां तक साफ कर दिया है कि शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनाने से बेहतर है कि हम विपक्ष में ही रहें।
9 नवंबर तक का समय निर्धारित
शिवसेना के तेवरों से ऐसा लग रहा है कि वह भाजपा को छोड़कर कोई अलग ही राह चुन सकती है। शिवसेना के नेता प्रताप सरनायक ने साफ-साफ अपने बयान में कहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले हमें 50-50 फार्मूले का वादा किया गया था। भाजपा के अनुसार गठबंधन सरकार के दौरान दाेनों दलों काे 2.5-2.5 साल तक मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलना चाहिए। उस हिसाब से उद्वव ठाकरे को भाजपा की तरफ से लिखित रुप से आश्वासन मिलना ही चाहिए। हालांकि सरकार के गठन के लिए 9 नवंबर तक का वक्त दिया गया है। भाजपा और शिवसेना के बीच इस मुद्दे को लेकर औपचारिक तरीके से बात नहीं हुई है। अब देखना यह है कि महाराष्ट्र की यह राजनीतिक जंग कौन सा नया मोड़ लेती है।