शीतला सप्तमी 2023: जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, व महत्व

कोलकाता: मां शीतला को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को व्रत रखते हुए मां शीतला की पूजा करने का विधान होता है। हिंदू धर्म में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा। यह व्रत होली के 7 दिन बाद मनाया जाता है। इस व्रत में मां शीतला की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है। इस व्रत में मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस व्रत का महत्व और पूजा विधि।

शीतला सप्तमी तिथि और शुभ मुहूर्त 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। 13 मार्च 2023 को सप्तमी तिथि रात 09 बजकर 27 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 14 मार्च को रात 8 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर शीलता सप्तमी का व्रत 14 मार्च को है।
शीतला सप्तमी का महत्व
मां शीतला को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को व्रत रखते हुए मां शीतला की पूजा करने का विधान होता है। इस दिन मां को सबसे अलग तरह का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन माता शीतला को बासी और ठंडा भोजन का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने पर अच्छी सेहत का वरदान मिलता है। कई जगहों पर इस व्रत को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन माताएं अपने बच्चों की तरह-तरह की बीमारियों से बचाने के लिए व्रत रखती हैं। मां शीतला को बासी भोग अर्पित करते हुए उनसे अपनी संतान की लम्बी आयु की कामना करती है। शीतला सप्तमी का व्रत और पूजा- आराधना सबसे ज्यादा मध्य भारत एवं उत्तरपूर्व के राज्यों में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।

शीतला मां का स्वरूप अत्यंत ही शीतल बताया जाता है और इनका स्वरूप रोगों को हरने वाला है। इनका वाहन गधा है। इनके हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते रहते हैं। शीतला सप्तमी को बसोड़ा के नाम से भी प्रचलित है।

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