बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के पोजिशन लेटर जारी नहीं कर सकेंगे बिल्डर
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने म्यूटेशन और ट्रेड लाइसेंस के लिए अब कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) अनिवार्य कर दिया है। शुक्रवार को मेयर फिरहाद हकीम ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिल्डिंग प्लान के आवेदन के समय आवेदक को यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि जब तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं होगा, तब तक पोजिशन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने के बाद संबंधित विभाग तीन दिनों के भीतर इमारत का निरीक्षण करेगा। अगर निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार की खामी पाई जाती है तो उसे नियमों के अनुसार पूरा करना होगा। मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी समस्याओं का समाधान 90 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया है, लेकिन केएमसी ने इसे 30 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने बताया कि जब तक डिविएशन (विनियमों से विचलन) को ठीक नहीं किया जाएगा, तब तक आवेदक को सीसी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिजली, पानी और निकासी जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही प्रदान की जाएंगी।
बिल्डिंग निर्माण पर सख्ती
मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नगर निगम को और अधिक सशक्त बनाया गया है। यदि निर्माण कार्य के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया तो बिल्डिंग के लिए दी गई पानी का कनेक्शन काट दिया जाएगा। जब तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं होगा, तब तक किसी भी प्रकार के व्यवसाय के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा, चाहे वह व्यावसायिक (कॉमर्शियल) हो या आवासीय (रेजिडेंशियल) इमारत हो। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी निर्देश दिया है कि अब वे सीसी के आधार पर ही लोन जारी करें।
अवैध निर्माण पर कार्रवाई
मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से महानगर में अवैध निर्माण को रोकने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोलकाता नगर निगम सख्ती से काम कर रहा है। हर 15 दिनों में बिल्डिंग विभाग के सब-असिस्टेंट इंजीनियर (एसएई) को इलाके का दौरा करने के लिए रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इन निरीक्षणों की समीक्षा निगम मुख्यालय से की जा रही है। निरीक्षण के दौरान एसएई संबंधित इमारत की तस्वीर निगम के ऐप पर अपलोड करते हैं और जीपीएस के माध्यम से उनकी उपस्थिति की भी जांच की जाती है। अवैध निर्माण की शिकायत पायी जाने पर संबंधित इंजीनियर को तुरंत कारण बताओ नोटिस (शोकॉज) जारी की जाएगी। दोषी पाये जाने पर उसे निलंबित या निष्कासित भी किया जा सकता है।
कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बाद ही मिलेगी बिजली, पानी और निकासी की सुविधा
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