सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : शुक्रवार को मुकुल राय ने तृणमूल में घर वापसी की। वर्ष 2017 में जब मुकुल राय भाजपा में शामिल हुए थे, उसके बाद से 2021 के विधानसभा चुनाव के पहले तक तृणमूल के कई नेता भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं अब मुकुल राय के तृणमूल में जाने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि मुकुल के और करीबी जो भाजपा में शामिल हुए थे, क्या वह भी वापस तृणमूल में लौटेंगे। हालांकि इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का स्पष्ट रुख है कि जिन नेताओं ने कट्टरपंथी बनकर तृणमूल को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। वहीं शुक्रवार को जैसे ही ममता बनर्जी से शुभेंदु अधिकारी के बारे में सवाल पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस इज ओवर’ और ये कहकर वह चली गयीं। ऐसे में शुभेंदु की वापसी का सवाल तो फिलहाल नहीं उठता है, लेकिन यह भी याद रखना होगा कि राजनीति में कभी दो और दो चार नहीं होते हैं।
कई नेता कहने लगे हैं भाजपा के खिलाफ
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही तृणमूल से भाजपा में शामिल हुए कई नेता पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं। मुकुल पुत्र शुभ्रांशु राय ने पहले ही फेसबुक पोस्ट कर बवाल खड़ा कर दिया था। इसके अलावा कई विधायक भी पार्टी की बैठकों से नदारद रहने लगे। खुद मुकुल राय पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में गत मंगलवार को नहीं पहुंचे थे। उस समय उन्होंने कहा था कि वह व्यक्तिगत तौर पर परेशान हैं। हालांकि इसके 2 दिनों बाद ही मुकुल तृणमूल में लौट गये। मुकुल के अलावा राजीव बनर्जी भी पार्टी की बैठकों में नहीं जा रहे हैं। हाल में उन्होंने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। दीपेंदु विश्वास और सोनाली गुहा जैसे नेता पहले ही तृणमूल में लौटने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इन सबके अलावा सव्यसाची दत्ता पार्टी की बैठक में तो पहुंचे थे, लेकिन उस समय उन्होंने केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाये थे और कहा था कि केंद्रीय नेता बंग्ला भाषा नहीं जानते जिस कारण यहां लोगों को हिन्दी समझने में समस्या हुई। अनुपम हाजरा ने भी फेसबुक पोस्ट कर कहा कि अब पार्टी में लॉबीबाजी बंद हो। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में नहीं लौट रहे हैं। एक तरह से यूं कहा जा सकता है कि तृणमूल से भाजपा में आने वाले अधिकतर नेता ही वापस तृणमूल में लौटने के लिए तैयार बैठे हैं।
विधायकों की गैर मौजूदगी भी उठा रही सवाल
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष विभिन्न जिलों में पार्टी की सांगठनिक बैठकें कर रहे हैं। हालांकि कई जगहों पर ऐसा देखा जा रहा है कि पार्टी के विधायक भी पार्टी की बैठकों से नदारद रह रहे हैं। शुक्रवार को बनगांव में हुई बैठक में भी 3 विधायक अनुपस्थित रहे। कुल मिलाकर अब ये कहा जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ और नेता व विधायक वापस तृणमूल में लौट सकते हैं।
एक तो गये और कितने कतार में ?
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