कोलकाता: सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित होता है। वैसे ही गुरुवार विष्णु जी और बृहस्पति देव को समर्पित है। भगवान विष्णु की पूजा से पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है वहीं बृहस्पति देव की उपासना करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है क्योंकि पीला श्रीहरि और देवताओं के गुरू बृहस्पति देव को अति प्रिय है। गुरुवार के दिन एक और देवी की पूजा का विधान है। नौ देवियों के रूप में एक ऐसी देवी है जिनकी गुरूवार को पूजा करने से इच्छा अनुरूप जीवनसाथी मिलने का वरदान प्राप्त होता है। आइए जानते हैं गुरुवार को किस देवी की पूजा करनी चाहिए।
विवाह की बाधा दूर करने के लिए करें यह देवी का पूजन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए गुरुवार के दिन मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति से भी है। बृहस्पति देव को विवाह का कारक माना जाता है।
शादी से संबंधित मामलों के लिए देवी कात्यायनी की पूजा अचूक मानी गई है। कहते हैं कि इनकी कृपा से योग्य और मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा पूर्ण होती है।
कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा
गोधूली वेला में मां कात्यायनी की पूजा उत्तम मानी गई है। गुरुवार के दिन पीले या लाल वस्त्र धारण कर मां की आराधना करें। कुमकुम, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, हल्दी की गांठ, पीला नैवेद्य देवी को चढ़ाएं। घी का दीपक लगाकर मां के समक्ष इस मंत्र का जाप करें।
ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।
मां कात्यायनी को शहद अर्पित जरूर करें। मान्यता है कि इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। विवाह की बाधाएं दूर हो जाती है। जिन लड़कों की शादी में अड़चने आ रही हो वो विधिवत मां कात्यायनी की पूजा कर इस मंत्र का एक माला जाप प्रतिदिन करें।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥