
नई दिल्ली : राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) की एलएलएम टॉपर सुरभि करवा उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं, जिसमें उन्हें शीर्ष न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के हाथों पदक मिलने वाला था। उनका नाम लिए जाने पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. जीएस वाजपेयी ने कहा कि दुर्भाग्य से वह यहां मौजूद नहीं हैं। हम उन्हें अनुपस्थिति में पदक से सम्मानित कर रहे हैं। बता दें कि इस मामले पर सोमवार को विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया आई, जिसमें उसने कहा है कि सुरभि की मुख्य न्यायाधीश से पदक नहीं लेने की खबरें गलत हैं।
गोगोई के हाथों नहीं लेना चाहती थी पदक
सूत्रों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप निपटाने के तरीके से असंतुष्ट होकर सुरभि ने उनके हाथों पदक नहीं लिया। मीडिया खबरों की माने तो, सुरभि का मानना है कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। हालांकि, शीर्ष न्यायालय के समक्ष यह मामला भी आया था लेकिन इसे सही तरीके से हैंडल नहीं किया गया।
विश्वविद्यालय ने खबरों को बताया गलत
विश्वविद्यालय ने उन तमाम खबरों को गलत बताया, जिसमें कहा गया था कि एलएलएम की टॉपर ने सम्मान समारोह में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि वह मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के हाथों से स्वर्ण पदक नहीं लेना चाहती थी। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि सुरभि को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से पदक लेना था, न कि मुख्य न्यायाधीश से। वाइस-चांसलर ने कहा “मुख्य न्यायाधीश द्वारा एलएलएम टॉपर को कोई पदक नहीं दिया जाना था और न ही विश्वविद्यालय ने सुरभि समेत किसी छात्र से संपर्क किया। साथ ही एनएलयू के कुलपति ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “विश्वविद्यालय के रूप में हम इस घटना से दुखी हैं, जिसकी वजह से अनावश्यक रूप से प्रधान न्यायाधीश (रंजन गोगोई) को असुविधा हुई।”
सीजेआई पर यौन शोषण के लगे थे आरोप
दरअसल, शीर्ष न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इसकी जांच तीन सदस्यीय इन-हाउस समिति को सौंपी गई। हालांकि, इस मामले में गोगोई को छह मई को क्लीनचिट दे दी गई थी। मालूम हो कि जिस महिला ने उनपर आरोप लगाया था वह साल 2018 में गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर थी। महिला ने दावा किया था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था।