जितिया व्रत आज; पढ़ें यह कथा, मिलेगा व्रत का पूर्ण फल

कोलकाता: इस साल जितिया व्रत 18 सितंबर यानी आज रखी जा रही है। आज के दिन माताएं अपनी संतान की रक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से संतान पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। उसका जीवन सुखमय होता है। आज के दिन पूजा के समय जीवित्पुत्रिका व्रत कथा पढ़ते हैं। यदि आप पढ़ नहीं सकते हैं तो इसका श्रवण करें। आपको इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।

 जितिया व्रत कथा विसतार से
गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के पिता दयालु और धर्मात्मा थे। काफी समय तक राज करने के बाद उन्होंने राजपाट छोड़ दिया और बन में चले गए। उनके जीवन में वानप्रस्थ आश्रम का प्रारंभ हो गया था। उनके बाद राजकुमार जीमूतवाहन को राजा बना दिया गया। जीमूतवाहन भी अपने पिता के समान ही परोपकारी और दयालु थे। उन्होंने काफी समय तक राज्य करा और फिर वे भी राजपाठ छोड़कर पिता के पास ही वन में चले गए।

एक दिन वन में उनकी मुलाकत नाग वंश की एक वृद्धि महिला से हुई। उसके चेहरे पर डर के भाव थे। जीमूतवाहन ने उसकी डर और चिंता का कारण पूछाा। उस मलिा ने बताया कि नाग वंश के लोगों ने पक्षीराज गुरुड़ को वचन दिया है कि उनके वंश का कोई न कोई एक सदस्य उनके आहार के लिए उनके पास अवश्य जाएगा। आज उसके बेटे को जाना है। इस वजह से वह काफी दुखी और डरी हुई है।

जीमूतवाहन ने कहा कि बस इतनी सी बात है। आप चिंतित न हों। आज आपका बेटा सुरक्षित है। उसके बदले मैं स्वयं गरुड़ देव के पास जाकर उनका आहार बनूंगा। जीमूतवाहन की बातों को सुनकर उस महिला को थोड़ी राहत मिली। जिस समय नागवंश का कोई व्यक्ति पक्षीराज के पास जाता था, उस समय पर जीमूतवाहन भी उनके पास पहुंच गए।

जीमूतवाहन ने स्वयं को एक लाल कपड़े में लपेट रखा था। गरुड देव ने उनको अपने पंजे में जकड़ लिया और अपने साथ लेकर चले गए। उन्होंने देखा कि जीमूतवाहन रो रहे हैं और दर्द से चीख रहे हैं। तब रास्ते में गरुड। देव ने जीमूतवाहन को एक स्थान पर रोका तो उन्होंने गरुड़ देव को पूरी घटना के बारे में बताया।

जीमूतवाहन के परोपकार की बातों से गरुड़ देव काफी प्रभावित हुए। उन्होंने जीमूतवाहन को अभय दान दे दिया। इस तरह से जीमूतवाहन के प्राण बच गए। गरुड़ देव ने जीमूतवाहन को वचन भी दिया कि वे नागवंश के किसी भी सदस्य को अपना भोजन नहीं बनाएंगे। इस तरह से जीमूतवाहन ने नागवंश की रक्षा भी की।

इस प्रकार से जो माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन यह कथा सुनती हैं, उनको पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके संतानों की रक्षा होती है।

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