
नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ( यूएनएचआरसी) का 42वां सत्र सोमवार से जिनेवा में शुरू हो गया है। इस सत्र में मंगलवार को भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होंगे। बैठक के उद्घाटन सत्र में ही साफ हो गया है कि इस बैठक में एक अहम मुद्दा कश्मीर का होगा। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी बैठक को आज सम्बोधित करेंगे और भारतीय पक्ष इसके बाद जवाबी वार करेगा।
भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग सत्र में बोलने का मौका
दोनों देशों के प्रतिनिधियों को बैठक में अलग-अलग सत्र में बोलना है। कुरैशी का मंगलवार दोपहर 3.30 बजे के करीब संबोधन होगा। इसके बाद भारत की सेक्रेटरी (ईस्ट) विजय ठाकुर बोलेंगी। वह कंट्री स्टेटमेंट देंगी। इसके बाद भारत राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए रात 8.30 बजे बोलेगा। इसमें कुरैशी को जवाब दिया जाएगा।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री हुए रवाना
बता दें कि मानवाधिकार परिषद का यह सत्र 27 सितंबर तक चलेगा। 27 सितंबर को पीएम मोदी और पाक के पीएम इमरान खान का संबोधन भी होगा। कश्मीर मसले पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान इस परिषद की शरण में पहुंचा है। पाकिस्तान, जो भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत दी गई जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के बाद से ही हताश है, इस मुद्दे को उठाने के लिए अपने विदेश मंत्री कुरैशी को परिषद में भेजा है। कुरैशी सोमवार को तीन दिनों की यात्रा के लिए जिनेवा रवाना हो चुके हैं। रवाना होने से पहले उन्होंने ट्वीट किया कि कथित “कश्मीर में अत्याचार” सत्र पर पाकिस्तान “निश्चित रूप से” बोलेगा।
पाकिस्तान का असली चेहरा दिखाया जाएगा
बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पहुंचा है। पाकिस्तान के इस प्रयास को रोकने और उसके असली चेहरे को दुनिया के सामने लाने के लिए वरिष्ठ राजनयिक अजय बिसारिया के नेतृत्व में गई टीम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह टीम मानवाधिकार परिषद की बैठक में पाकिस्तान में हो रहे जबरन धर्म परिवर्तन से लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला उठाएगी।
शुरुआती संबोधन में एनआरसी का जिक्र
उल्लेखनीय है कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र के अपने शुरुआती संबोधन में कश्मीर मुद्दे और असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) का जिक्र किया। उन्होंने 35 से ज्यादा देशों को संदर्भित करने के दौरान भारत का भी नाम लिया और पाकिस्तान का संदर्भ केवल कश्मीर को लेकर दिया, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, बलूचिस्तान या गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर कोई जिक्र नहीं किया।