कोलकाताः हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। हिंदू धर्म में आदि पंचदेवों में से एक भगवान गणपति प्रथम पूज्य और विघ्नों के नाशक माने गए हैं। ऐसे में सभी शुभ कार्यों में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की ही वंदना की जाती है। वहीं सप्ताह के हिसाब से बुधवार को श्रीगणेश की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन सुबह उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत होकर गणपति महाराज को दूर्वा की 11 या 21 गांठें अर्पित करें। इसके अलावा धूप-दीप दिखाकर, पुष्प अर्पित कर बप्पा का पाठ करें व पूजन के समय श्रीगणेश के मंत्रों का जाप करें। श्री गणेश भगवान को मोदक व लड्डू का भोग लगाएं।
ऐसी मान्यता है कि बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से भक्तों की सभी बाधायें दूर होती है। उसे संकट, रोग, और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गणेश भगवान को विघ्नहर्ता कहा गया है। माना जाता है कि बप्पा अपने भक्तों के सभी दुखों का नाश कर देते हैं। बुधवार को की गई गणेश भगवान की पूजा बेहद फलदायी होती है।
बुधवार को ऐसे करें गणेश पूजन
- इस दिन भक्त को सुबह उठकर नित्यक्रम से निवृत होकर स्नानादि कर लेना चाहिए।
- अब गणेश भगवान का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- तत्पश्चात सामने चौकी पर गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके साथ ही श्री गणेश यन्त्र की भी स्थापना करें।
- अब भगवान गणेश को पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि अर्पित करें।
- अब गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं. उसके बाद भगवान गणेश जी की आरती करें।
- इसके बाद ॐ गं गणपतये नमः का जाप 108 बार करें।
- बुधवार के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान श्री गणेश को दूर्वा की 11 या 21 गांठे चढ़ायें। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश को दूर्वा बहुत ही प्रिय है।
- गणेश जी को बुधवार के दिन केसरिया सिंदूर भी चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।
- प्रत्येक बुधवार बप्पा को मोदक का भोग लगाएं, लेकिन ध्यान रहे कि भोग के मोदक को आप खुद न खाकर, बल्कि उसे प्रसाद स्वरूप बांट दें।
- बुधवार के दिन श्री गणेश की विधिवत पूजा करने के बाद गुड़ और घी का भोग लगाएं।
- इस दिन यदि घर में श्री गणेश की सफेद रंग की प्रतिमा स्थापना करें तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
- बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से तीक्ष्ण बुद्धि होती है। माना जाता है कि इससे ग्रह कलह का भी नाश होता है।
विघ्नहर्ता की पूजा के समय इन मंत्रों का करें जाप
दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
ओम नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
ओम ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।
ओम एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।