आजकल बच्चों की कमजोर याददाश्त से अभिभावक ज्यादा परेशान रहते हैं। याददाश्त कम होना यानि भूलने की समस्या होना, यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है जो दिमागी काम करते हैं और ज्यादा तनाव में रहते हैं। भूलने की समस्या छोटे बच्चों से लेकर वृद्धों तक किसी को भी हो सकती है। इसका मुख्य कारण है एकाग्रता की कमी। पौष्टिक आहार का सेवन न करने की वजह से याददाश्त कमजोर हो जाती है और छोटी-छोटी चीजों को भूल जाते हैं। भूलने की आदत इंसान की सबसे खराब आदतों में से एक है, क्योंकि इस आदत के कारण न सिर्फ खुद वो इंसान जिसे भूलने की समस्या है, परेशान हो जाता है, बल्कि उससे जुड़े दूसरे लोग भी कई बार परेशानी में पड़ जाते हैं। भूलने की समस्या लगभग हर उम्र के लोगों में पाई जाती है। भूलने का मुख्य कारण एकाग्रता की कमी है। अधिकतर समस्या रीकॉल करने में होती है,क्योंकि हमारे दिमाग को रीकॉल प्रोसेस के लिए जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, उनकी हमारे शरीर में कमी हो जाती है। कमजोर याददाश्त के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अब यह एक बच्चों से लेकर बढ़ती उम्र के लोगों की आम समस्या बनती जा रही है।
याददाश्त कम होने का मुख्य कारण : सोने का अभाव, तनाव, पोषक तत्वों की कमी, थायरॉयड, शराब पीनी, धूम्रपान करना और कुछ हानिकारक दवाइयों का सेवन करना।
बच्चों में याददाश्त कम होना : बच्चों में याददाश्त कम होने का मुख्य कारण देर से बच्चों को सोना, देर से खाना, दूध का सेवन न करना, पेट में कृमि का होना।
क्यों होती है भूलने की समस्या : चिकित्सक के मुताबिक याददाश्त कम होना या फिर याददाश्त खो जाना दो अलग बातें हैं, बुजुर्गों में यह समस्या 60 के बाद होती है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। युवाओं में याददाश्त कम होने की वजहें अलग हैं, जैसे- अधिक तनाव, सिगरेट, एल्कोहल या फिर अनियमित नींद। मार्ग दुर्घटना या फिर मस्तिष्क में ट्यूमर की वजह से भी याददाश्त खो जाती है, लेकिन इन दो वजहों के अलावा याददाश्त खोने के कई कारण होते हैं। यदि अनियमित दिनचर्या से याद रखने की क्षमता कम होती है तो उसे मेडिटेशन, योग या फिर बेहतर डायट से ठीक किया जा सकता है। हालांकि याददाश्त बढ़ाने के लिए चिकित्सक हानिरहित होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
बुजुर्गों में मानसिक रोग एवं डिमेंशिया या अलजाइमर रोग के कारण प्रायः देखा गया है। दफ्तर के लिए निकलते हुए कभी रुमाल तो कभी सेलफोन भूलने की आदत आम हो चुकी है। सप्ताह में एक-दो बार हम अपनी चीजें भूलते रहते हैं। लेकिन जब ऐसी घटना बढ़ने लगे तो बगैर देर किए चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये।
अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है, जो सामान्यत: बुजुर्गों में होती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज सामान रखकर भूल जाते हैं। यही नहीं, वह लोगों के नाम, पता या नंबर, खाना, अपना ही घर, दैनिक कार्य, बैंक संबंधी कार्य, नित्य क्रिया तक भूलने लगता है।अल्जाइमर बीमारी, डिमेंशिया रोग का एक प्रमुख प्रकार है। डिमेंशिया के अनेक प्रकार होते हैं। इसलिए इसे अल्जाइमर डिमेंशिया भी कहा जाता है। अल्जाइमर डिमेंशिया प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज की स्मरण शक्ति कमजोर होती जाती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह रोग भी बढ़ता जाता है। याददाश्त क्षीण होने के अलावा रोगी की सोच-समझ, भाषा और व्यवहार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अवसाद : अवसाद डिमेंशिया की वजह हो सकती है। जिंदगी में अधिक हासिल करने की इच्छा जब पूरी नहीं होती तो व्यक्ति का ध्यान सामान्य बातों पर नहीं रहता, वह हरदम कुछ बढ़ा करने की योजना बनाता रहता है। समाज से कटे या अकेले रहने वाले लोगों में यह लक्षण अकसर देखने को मिलता है।
विटामिन बी-12 की कमी : डिमेंशिया का यह एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी कमी मस्तिष्क के स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है। विटामिन बी-12 हमारे न्यूरोंस और सेंसर मोटर को सुरक्षित रखता है।
दवाओं का दुष्प्रभाव : नींद की गोलियां, एंटीथिस्टेमाइंस, ब्लड प्रेशर की दवाएं, गठिया में ली जाने दवा, एंटीडिप्रेसेन्ट, गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली गोलियां और दर्द निवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से भी डिमेंशिया हो सकता है। लगातार नींद की गोलियां खाने वाले लोग भी सामान्य बातें जल्दी भूलने लगते हैं।
शराब की लत : शराब का अधिक इस्तेमाल, मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्रियाशीलता को कम करता है।
थायरॉयड : थायरॉयड ग्रंथि मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। भूलने के साथ-साथ दिमाग को एकाग्र करने में भी दिक्कतें आती हैं। अधिक या कम थॉरोक्सिन याद करने की क्षमता को कम कर देता है।
क्या हैं बीमारी के लक्षण : डिमेंशिया के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होते हैं। कुछ लोगों में डिमेंशिया की शुरुआत तिथि और नाम भूलने के साथ होती है, तो कुछ लोग शुरू किए गए काम का उद्देश्य ही भूल जाते हैं। एक ही स्थान पर बार-बार जाने के बाद भी उसका पता भूल जाते हैं। कुछ लोग एक ही काम को कई बार करते हैं। डिमेंशिया की शुरुआत कुछ यूं होती है। भ्रम या कम सतर्कता भूलने की बीमारी का पहला लक्षण हो सकता है। हालांकि सभी का व्यवहार एक समान नहीं होता। कुछ में सीधे भूलने की समस्या होती है तो कुछ को शब्द याद करने में मुश्किल होती है। कुछ को समझने में समस्या आती है। उन्हें छोटे-छोटे निर्णय लेने में भी तकलीफ होती है।
एनीमिया (रक्तहीनता) : लौह तत्त्व की कमी का अर्थ है, एनीमिया (रक्तहीनता)। अत: एनीमिया से बचें। खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और लौह की भी उचित मात्रा का समावेश करें, अन्यथा औषधि के रूप में लें।
व्यायाम है सहायक : हर उम्र के लोगों के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम फायदेमंद है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नियमित व्यायाम से याददाश्त बढ़ सकती है। यही नहीं, बल्कि वे अधिक दिनों तक भूलने की बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। यदि रोजाना सिर्फ आधे घंटे योग किया जाए तो भी इससे राहत मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में करीब 3 करोड़ 70 लाख लोग भूलने की बीमारी के शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगले बीस सालों में इस आंकड़े में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका जताई है।
जरूरी है नींद : याददाशत मजबूत करने के लिए के लिए नींद बहुत जरूरी है। कम नींद या खराब नींद हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स का विकास प्रभावित करती है और स्मृति, एकाग्रता व निर्णय लेने की क्षमता कम होती जाती है।
डायट का रखें ध्यान
– याददाश्त बढ़ाने के लिए दूध के साथ मिलाकर खाइए यह चीज इस नुस्खे को तैयार करने के लिए हमें इन चीजों की जरुरत होगी : 1 गिलास दूध, 2 चम्मच शहद, 5 नग बादाम। बादाम को मिक्सर की मदद से पीसकर इसका पाउडर बना लें, इसके बाद दूध को गर्म करके उसमें शहद डालकर अच्छे से मिला दें। अब दूध के इस मिश्रण में पीसा हुआ बादाम को भी मिलाएं, इस तरह यह नुस्खा तैयार हो जायेगा।
– तैयार किया गया इस नुस्खे को रोज सुबह नाश्ता करने के 40 मिनट पहले सेवन कर लें या रात को सोते वक़्त भी इसे ले सकते हैं। ऐसा करने से कुछ ही सप्ताह में आपके याददाश्त मजबूत होने लग जाती है और भूलने की समस्या दूर हो जाती है
हरी सब्जियां : इनमें विटामिन और फोलिक एसिड की भरमार होती है, जो हमें पागलपन से बचाते हैं। ध्यान रहे हरी सब्जियों को ज्यादा देर तक पकाने पर इसके न्यूट्रिएंट्स जल सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, फल, सलाद, दाल, दूध, दही का इस्तेमाल अधिक करें। खटास रहित फल, फलियां, गोभी, बंदगोभी में ‘बोरॉन’ होता है। फल-सब्जी ताजे और मौसम के होने चाहिए।
काला जामुन : काला जामुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो न्यूरॉन्स के बीच संचार बढ़ाते हैं और आसानी से समझने में मदद करते हैं। रोज काला जामुन खाएं तो दिन, महीना और तिथि याद रखना आसान होगा।
सेब : सेब में क्वरसेटिन की मात्रा पाई जाती है, जो हमारे ब्रेन सेल की रक्षा करता है। निम्न बातों पर ध्यान देकर याददाश्त को और बेहतर बनाए रखा जा सकता है।
– प्रत्येक काम की बात को मस्तिष्क में न भरें – जैसे बाजार सामान खरीदने जाना है और क्या-क्या सामान लाना है। इसे शांति से बैठकर एक कागज पर लिख लें।
– कोई कार्य करते समय अचानक कोई दूसरा महत्वपूर्ण काम याद आ जाए, तो तुरंत उस कार्य को अपनी डायरी में उस जगह लिख लें, जहां करने वाले काम लिखे हैं।
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